मक्का पर किसका खतरा मंडरा रहा? सऊदी अरब ने तैनात किया अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम
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इस्लाम के सबसे पवित्र शहरों में से एक, मक्का में सऊदी अरब ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात किया है। हर साल लाखों मुस्लिम हज और उमरा करने के लिए मक्का आते हैं। इस साल भी लगभग 16 लाख मुस्लिमों के आने की उम्मीद है।

हज यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सऊदी सरकार ने शहर में अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तैनात किया है। हज यात्रा शुरू हो चुकी है और दुनिया भर से यात्री आ रहे हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

सऊदी प्रशासन ने मक्का की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस तैनात करने की आधिकारिक घोषणा की है। तस्वीरें जारी करते हुए उन्होंने लिखा है, एक आंख जो कभी नहीं सोती, इसका मिशन खुदा के मेहमानों की हिफाजत करना है।

यह एयर डिफेंस सिस्टम ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट के हमलों को रोकने में सक्षम है। पूरे मक्का शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। मस्जिद अल-हरम की सैन्य हेलीकॉप्टर से निगरानी हो रही है।

माना जा रहा है कि एयर डिफेंस की तैनाती हूती विद्रोहियों के खिलाफ की गई है। हूती यमन का एक इस्लामिक विद्रोही संगठन है, जिसमें शिया मुस्लिम लड़ाके शामिल हैं। हूती विद्रोही यमन की सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं। 2016 में हूती विद्रोहियों पर मक्का में मिसाइल अटैक के आरोप लगे थे, लेकिन एयर डिफेंस सिस्टम ने मिसाइल को 65 किलोमीटर पहले ही मार गिराया था।

सऊदी अरब पर हूती विद्रोहियों का खतरा बना रहता है। हूतियों के निशाने पर अमेरिका और इजरायल जैसे देश भी हैं।

पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अमेरिका ने विकसित किया है। यह जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों के हमले को भी नाकाम कर सकती है। यह क्रूज मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमान को भी टारगेट कर सकती है। यह प्रणाली एक साथ 100 लक्ष्यों पर नजर रख सकती है और 160 किलोमीटर दूर से उन्हें ध्वस्त कर सकती है।

एक अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम की कीमत लगभग 8,500 करोड़ रुपये है, और एक मिसाइल की कीमत लगभग 25 करोड़ रुपये है। अमेरिका का दावा है कि लगभग 19 देश इसका इस्तेमाल करते हैं, जिनमें अमेरिका, इजरायल और यूरोप के कई देश शामिल हैं।

सऊदी अरब और हूतियों के बीच दुश्मनी का मुख्य कारण यमन का गृहयुद्ध और राजनीति है। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर राष्ट्रपति अब्दराबूह मंसूर हादी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। हादी सऊदी अरब का समर्थक था, और सऊदी अरब यमन पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए हादी को महत्वपूर्ण मानता था। इसलिए सऊदी अरब ने सैन्य गठबंधन बनाकर हूतियों पर हमला किया, जिसके बाद से सऊदी अरब और हूती विद्रोहियों के बीच तनाव जारी है।

इस विवाद का एक दूसरा कारण ईरान है, जो हूतियों का समर्थक माना जाता है। ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है और सऊदी अरब का क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी है। ईरान पर हूतियों को फंडिंग करने के आरोप भी लगते रहते हैं।

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