बस्तर में बड़ी कामयाबी: शीर्ष माओवादी नेता सुधाकर मुठभेड़ में ढेर, CM साय ने कहा - भारत नक्सलवाद की बेड़ियों से मुक्त हो रहा है
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बीजापुर, छत्तीसगढ़: देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों को एक बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षाबलों ने शीर्ष नक्सल नेता और केंद्रीय समिति के सदस्य (सीसीएम) गौतम, जिसे सुधाकर के नाम से भी जाना जाता है, को एक भीषण मुठभेड़ में मार गिराया है। यह एनकाउंटर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई थी। बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने यह जानकारी दी है। सुधाकर पर 40 लाख रुपये का इनाम था।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए पुलिस के जवान और सुरक्षाबलों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा, लाल आतंक का अंत हो रहा है, नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बस्तर रेंज में इस वर्ष 400 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद मुक्त बनाने का लक्ष्य दोहराया।

मुठभेड़ के बाद घटनास्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने एक एके-47 राइफल के अलावा भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। इस अभियान में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) का संयुक्त दल शामिल था।

सुधाकर की हत्या सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है, क्योंकि वह विभिन्न हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार था। उसके द्वारा किये गये हमलों में कई निर्दोष आदिवासी नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई थी। वह माओवादी वैचारिक प्रशिक्षण स्कूल (RePOS) के प्रभारी के रूप में भी शामिल था, जो युवाओं को गुमराह करने में लगा हुआ था।

नक्सल अभियान से जुड़े अफसरों के मुताबिक, 2025 में अब तक बस्तर रेंज में आतंकवाद विरोधी अभियानों में 186 माओवादी मारे गए हैं। 2024-2025 की अवधि के दौरान, माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच कई मुठभेड़ों के बाद बस्तर रेंज में 403 से अधिक माओवादी कैडरों को मार गिराया गया है और उनके शव बरामद किए गए हैं।

इससे पहले, सुकमा जिले में 18 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसमें खूंखार बटालियन नंबर 1 के चार सदस्य शामिल थे। यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की पुनर्वास पहल, नियाद नेल्लनार के प्रभाव में हुआ। सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण जी चव्हाण ने कहा था कि नियाद नेल्लनार योजना से प्रभावित होकर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

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