अमेरिका ने यमन के हूथी विद्रोहियों के खिलाफ 2023 से एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया, जिसमें उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने अपनी नौसेना का 10 प्रतिशत हिस्सा, लगभग 30 युद्धपोत, इस अभियान में झोंक दिया।
हथियारों और गोला-बारूद पर लगभग 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) खर्च कर दिए गए।
इतना भारी खर्च होने के बावजूद, अमेरिका हूथी हमलों को पूरी तरह रोकने में नाकाम रहा है, और अब यह अभियान लगभग रुक सा गया है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस अभियान से अमेरिका के हथियार भंडार पर सालों तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर और आसपास के इलाकों में वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाकर वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है।
अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन शुरू किया, लेकिन विद्रोहियों की गुरिल्ला रणनीति और क्षेत्रीय समर्थन के कारण यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े सैन्य अभियान के बावजूद हूथियों की गतिविधियों का जारी रहना अमेरिका की सैन्य नीति और खर्च पर सवाल उठाता है।
अमेरिका के सामने अब चुनौती यह है कि वह इस संकट का समाधान कैसे करे, बिना और अधिक संसाधनों को गवाए।
US sent 30 warships (10% of ENTIRE Navy) against Houthis since 2023, spent $1.5B on munitions — only to stall, per WSJ
— RT (@RT_com) June 5, 2025
The expensive campaign could reportedly drain US arms stockpiles for years to come pic.twitter.com/DvRMCkUuqd
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