पाकिस्तान को आतंकवाद का मुकाबला करने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की दो कमेटियों में महत्वपूर्ण भूमिका सौंपना, बंदर के हाथ में उस्तरा देने जैसा है.
आतंक फैलाने के लिए कुख्यात पाकिस्तान, अब UN के 193 सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के सुझाव देगा, जिसमें आतंकी संगठनों की संपत्ति फ्रीज करना शामिल है.
पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध कमेटी का अध्यक्ष और आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया है.
जिस पाकिस्तान में हाफिज, मसूद, लखवी, मक्की और दाऊद जैसे आतंकी खुलेआम घूमते हैं, वह अब आतंकी हमलों की निंदा करेगा.
पाकिस्तान को इन कमेटियों में शामिल करना ऐसा है, मानो उस पर आतंक फैलाने के लिए प्रतिबंध लगाने के बदले उसे इनाम दिया गया हो.
यह फैसला पाकिस्तान को तालिबान से संबंध सुधारने का मौका दे सकता है, जबकि तालिबान प्रतिबंध समिति का उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति स्थापित करना है.
पाकिस्तान अब तालिबान प्रतिबंध समिति से जुड़ी बैठकों की अध्यक्षता करेगा और सिफारिशें तैयार करेगा, जबकि उसने तालिबान को पैसे, हथियारों और आतंकियों की मदद दी है.
हमें आशंका है कि पाकिस्तान के आतंकवाद प्रेम का असर आने वाले दिनों में UN में दिख सकता है.
क्या UN अब अपने LOGO में से शांति का प्रतीक जैतून की टहनियों को हटाकर AK-47 राइफलें लगाने वाला है, जो पाकिस्तानी आतंकियों का पसंदीदा हथियार है?
क्या UN सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस अपने ऑफिस में हाफिज और मसूद अजहर की तस्वीरें लगवा सकते हैं?
पाकिस्तान को काउंटर टेररिज्म कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया है, जो दुनिया भर के देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट करती है.
क्या पाकिस्तान अपने आतंकियों के खिलाफ इस कमेटी से कोई कार्रवाई होने देगा? यह कमेटी आतंकियों को धन मुहैया कराने और सुरक्षित पनाहगाह देने से रोकती है.
पाकिस्तान उपाध्यक्ष के तौर पर UN के सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के सुझाव देगा.
पाकिस्तान, जहां UN की प्रतिबंधित लिस्ट में मौजूद 150 आतंकवादी या आतंकी संगठन हैं, वह आतंकवाद रोकने पर दुनिया को लेक्चर देगा.
UN ने करीब 343 बड़े आतंकवादियों या आतंकी संगठनों को बैन किया है, जिनमें से करीब 44 प्रतिशत पाकिस्तान में मौजूद हैं.
वर्ष 2024 में पाकिस्तान में करीब 1100 आतंकी हमले हुए, यानी हर दिन कम से कम तीन अटैक हुए.
पाकिस्तान जितना आतंकवाद फैलाने के लिए कुख्यात है, UN ने उसे रोकने के लिए कभी कुछ नहीं किया है.
अपनी स्थापना के 80 सालों बाद भी UN अब तक आतंकवाद की परिभाषा तक तय नहीं कर पाया है.
पाकिस्तान को आतंक रोकने की कार्रवाई में बड़ी भूमिका मिलना ऐसा है, मानो किसी अपराधी को ही उसके जुर्म का फैसला देनेवाला जज और पुलिस बना दिया जाए.
#DNAWithRahulSinha | UN ने बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिया! आतंक के खिलाफ अब UN में बोलेंगे हाफिज-मसूद?#DNAWithRahulSinha #DNA #Pakistan #ShehbazSharif #UnitedNations@RahulSinhaTV pic.twitter.com/p13ExoKY9C
— Zee News (@ZeeNews) June 4, 2025
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