बांके बिहारी कॉरिडोर: आस्था या रास्ता, वृंदावन में क्यों मचा है बवाल?
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वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पूजा-पाठ करने वाला गोस्वामी समाज कॉरिडोर का विरोध कर रहा है. उनका कहना है कि अगर कॉरिडोर बना तो वृंदावन से बांके बिहारी पलायन (छोड़) कर जाएंगे.

बांके बिहारी मंदिर के आस-पास 5 एकड़ में कॉरिडोर बनेगा. कॉरिडोर के डिजाइन में मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखा गया है. मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन रास्ते बनाए जाएंगे. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए करीब 37 हजार वर्गमीटर में पार्किंग बनाई जाएगी.

हर महीने करीब 10 लाख श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर आते हैं. होली, अक्षय तृतीया, नए साल के साथ ही वीकेंड शनिवार और रविवार को औसतन 1 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भगवान बांके बिहारी के दर्शन करने वृंदावन पहुंचते हैं. कॉरिडोर के बनने के बाद करीब 10 हजार श्रद्धालु एक साथ दर्शन कर सकेंगे.

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता कुंज गलियों से होकर जाता है. बिहारी जी मंदिर के पास 22 गलियां हैं. गलियों की चौडाई 3 से 10 फीट तक है. जब श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती है तो गलियां भीड़ से भर जाती हैं जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इसलिए सरकार कॉरिडोर बनाकर श्रद्धालुओं के लिए भगवान बांके बिहारी के दर्शन को सुगम बनाना चाहती है.

कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के आसपास के 300 मकान और 100 दुकानों का अधिग्रहण होगा. अधिग्रहण को लेकर भी नाराजगी है.

काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए करीब 300 भवनों का अधिग्रहण किया गया था. प्रभावित लोगों को 1000 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया गया. दुकानदारों को दूसरी जगह पर दुकानें दी गई. कुछ को मुआवजा दिया गया. बिल्डिंग तोड़ने के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे, जिन्हें संरक्षित किया गया.

उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर बनाने के लिए करीब 250 से ज्यादा मकान और दुकानें अधिग्रहित की गईं. सरकार ने कुल 150 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा दिया. सरकार भरोसा दिला रही है कि बांके बिहारी कॉरिडोर के सभी प्रभावितों को उचित मुआवजा दिया जाएगा.

दुनिया के कई देशों में तीर्थ स्थलों के विकास के साथ ही दूसरे विकास कार्यों के लिए धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया गया या उन्हें दूसरी तरह शिफ्ट किया गया.

अक्टूबर 2014 में सऊदी अरब सरकार ने मस्जिद अल-हरम और पैगंबर की मस्जिद का विस्तार करने के लिए मक्का और मदीना के आसपास के कई अन्य विरासत स्थलों को ध्वस्त कर दिया था. दिसंबर 2018 में तुर्किए के हसनकैफ शहर में बांध बनाने के लिए 600 साल पुरानी एय्यूबी मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट किया.

बांके बिहारी कॉरिडोर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बन रहा है. तर्क है कि इससे स्थानीय लोगों का हित भी होगा. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने से वाराणसी में श्रद्धालुओं की संख्या 500% से ज्यादा बढ़ी है, जिससे वाराणसी का टूरिज्म आधारित व्यापार का वार्षिक राजस्व 15 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. महाकाल कॉरिडोर बनने से उज्जैन में 300% तक श्रद्धालु बढ़े हैं, जिससे उज्जैन में पर्यटन आधारित व्यापार से सरकार को 2 हजार करोड़ से ज्यादा की आय हो रही है.

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