चीन ने ऑटो इंडस्ट्री की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट पर सख्त निर्यात नियंत्रण लगाया है, जिससे इसकी सप्लाई में दिक्कत आ रही है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऑटो इंडस्ट्री के अधिकारियों ने सरकार से चिंता जताई है कि इन प्रतिबंधों से प्रोडक्शन पर बड़ा असर पड़ सकता है और कुछ ही दिनों में प्रोडक्शन ठप हो सकता है।
चीन के नए नियम के तहत, कोई भी कंपनी सरकार से लाइसेंस लिए बिना रेयर अर्थ मैग्नेट्स नहीं बेच सकती। इसके लिए खरीदार से एंड यूज सर्टिफिकेट (EUC) भी लेना होगा।
एंड यूज सर्टिफिकेट चीजों के इंटरनेशनल ट्रांसफर का एक डॉक्यूमेंट है, जो आमतौर पर संवेदनशील आइटम्स जैसे वेपन या टेक्नोलॉजी के मामले में लिया जाता है। इस नियम के बाद चीन से एक्सपोर्ट अटक गया है और कई कंटेनर पोर्ट्स पर रखे हुए हैं।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) ने चीन जाने की बात भी कही है। एसोसिएशन के अधिकारियों ने सरकार को बताया है कि पार्ट्स मैन्यूफेक्चरर्स के पास मई के अंत तक स्टॉक खत्म हो सकता है और जून की शुरुआत से ही ऑटो इंडस्ट्री पर इसका असर पड़ने की उम्मीद है।
मारुति के सीनियर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राहुल भारती ने कहा, यह कोई प्रतिबंध नहीं है, यह एंड यूज सर्टिफिकेट की बात है। यदि कोई समस्या होगी तो हम स्टॉक एक्सचेंज सहित अपने सभी स्टेकहोल्डर्स को इसके बारे में सूचना देंगे। मारुति के पास कितने सप्ताह का स्टॉक है, इस बारे में उन्होंने जानकारी देने में मुश्किल बताई।
पिछले सप्ताह खबर आई थी कि यदि इस समस्या का जल्द हल नहीं निकाला गया तो मारुति को जून की शुरुआत में अपने एक कार मॉडल का प्रोडक्शन बंद करना पड़ सकता है।
चीन का इस तरह के रेयर मैग्नेट्स के 90 प्रतिशत से ज्यादा बाजार पर कब्जा है। यह लगभग 140,000 मीट्रिक टन (MT) उत्पादन करता है, जबकि अमेरिका केवल 38,000 मीट्रिक टन उत्पादन करता है और उसे खुद ये चुंबक इंपोर्ट करनी होती है।
इन खास चुंबकों का उपयोग ऑटोमोबाइल, क्लीन एनर्जी और होम अप्लांयसेज जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में इनका उपयोग महत्वपूर्ण है।
अप्रैल में चीन ने कंपनियों के लिए इम्पोर्ट परमिट लेना जरूरी कर दिया था। इस तरह का पेंच फंसाकर चीन ने ऑटो इंडस्ट्री को बड़ी टेंशन दे रखी है।
मारुति अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार- ई विटारा को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। मारुति के साथ टीवीएस को भी यह चिंता सताने लगी है।
हेवी इंडस्ट्रीज मिनिस्टर एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा है कि सरकार इस मुद्दे पर काम कर रही है और चीन के अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए 2 से 3 सप्ताह में एक प्रतिनिधिमंडल चीन भेजेगी।
रेयर अर्थ मैग्नेट मिश्रधातुओं से बना एक मजबूत स्थायी चुंबक है। इसे 1970 और 1980 के दशक में विकसित किया गया था और यह फेराइट या एल्निको चुंबक जैसे अन्य प्रकारों की तुलना में काफी मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उत्पादन करता है। इसके दो प्रकार हैं: नियोडिमियम (Nd-Fe-B) और सैमरियम कोबाल्ट (SmCo)।
इन चुंबकों को इलेक्ट्रिक मोटर्स या इलेक्ट्रिक वाहनों का दिल कहा जाता है। बैटरी से चलने वाले वाहनों में इलेक्ट्रिक मोटर को इसी से पावर मिलती है। नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) जैसे दुर्लभ चुंबक इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए सबसे जरूरी हैं और ऑटोमोबाइल में ब्रेकिंग, पावर स्टीयरिंग सिस्टम, विंडस्क्रीन वाइपर मोटर और म्यूजिक सिस्टम्स के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
🚨 TVS Motors and Bajaj Auto warn China’s export curb on rare earth magnets will hit EV production in India 🇮🇳
— Stocktwits India 🇮🇳 (@StocktwitsIndia) June 2, 2025
“The impact will show up in production by June or July,” says Sudarshan Venu, MD of TVS Motor
FYI, China controls nearly 90% of the world’s rare earth magnet supply 🇨🇳 pic.twitter.com/UgvantvlxL
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