पंजाब-हरियाणा समेत 6 राज्यों में ब्लैकआउट ड्रिल, पाकिस्तान में दहशत
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भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बाद भविष्य में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को मजबूत कर रहा है।

ऑपरेशन शील्ड के तहत, सीमा से सटे छह राज्यों - गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में मॉक ड्रिल की जा रही है।

मॉक ड्रिल के लिए शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक का समय चुना गया है। कुछ राज्यों में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल भी की गई।

इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य संभावित आपात स्थितियों, चाहे वे सीमा पार से होने वाले हमले हों या आतंकी गतिविधियां, उनके प्रति स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया क्षमता की जांच करना और लोगों को जागरूक करना है।

भारत की इस मॉक ड्रिल से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में डर का माहौल है। उसे यह डर सता रहा है कि सीजफायर के बाद भी भारत में इस तरह की तैयारी क्यों की जा रही है।

जम्मू-कश्मीर के जम्मू, अनंतनाग, बारामुला और अन्य संवेदनशील जिलों में सुरक्षा बलों द्वारा एयर स्ट्राइक और ब्लैकआउट ड्रिल की जा रही है। जम्मू में रात 8 बजे से पूर्ण ब्लैकआउट हुआ। अखनूर क्षेत्र में एयर स्ट्राइक जैसी स्थिति की मॉक ड्रिल की गई, जिसमें हवाई हमलों से बचने का अभ्यास किया गया और लोगों को इसके बारे में बताया गया।

गुजरात में भी बॉर्डर स्टेट होने के नाते मॉक ड्रिल किया गया। यहां एयर अटैक अलर्ट और सायरन की आवाजें भी सुनी गईं। पाटण और वलसाड में हवाई हमले की मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजाए गए। पाटण तहसील कार्यालय में मॉक इमरजेंसी के तहत कमरे में आग लगाई गई और उसमें फंसे तीन लोगों को रेस्क्यू टीम द्वारा सुरक्षित निकाला गया।

राजस्थान में जयपुर को मॉक वॉर जोन बनाया गया। यहां अचानक ब्लास्ट और हवाई फायरिंग की मॉक ड्रिल हुई। लोगों में भगदड़ की स्थिति बनाई गई और SDRF समेत मेडिकल टीमें मौके पर तुरंत पहुंचीं और आपात राहत कार्य किए गए। लोगों को सुरक्षित बचाया गया।

हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में शाम से रात तक ब्लैकआउट ड्रिल चलाई जा रही है। इन राज्यों में शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक मॉक ड्रिल चलाई जा रही है। रात 8 बजे से 8:15 बजे तक का समय पूर्ण ब्लैकआउट के लिए निर्धारित किया गया है। पुलिस, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस और मेडिकल यूनिट्स को अलर्ट पर रखा गया है।

चंडीगढ़ में भी मॉक ड्रिल की गई। मॉक ड्रिल के दौरान एयर स्ट्राइक में घायल लोगों को सेक्टर 47 में सामुदायिक केंद्र में लाया गया। मॉक ड्रिल के हिस्से के रूप में 20 लोगों को निकाला गया। घायलों के इलाज के लिए 30 यूनिट रक्त और अतिरिक्त चिकित्सा टीमों की व्यवस्था सहित चिकित्सा प्रतिक्रिया का भी परीक्षण किया गया।

यह ड्रिल समन्वय तंत्र का परीक्षण करने और विभिन्न विभागों और आपातकालीन बलों के बीच प्रतिक्रिया रणनीतियों को बेहतर बनाने का प्रयास है। मॉक ड्रिल में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक, होमगार्ड, स्थानीय अधिकारी और एनसीसी, एनएसएस और गैर सरकारी संगठनों जैसे युवा संगठन शामिल हुए।

ड्रिल में हवाई हमले, ड्रोन और मिसाइल हमले, हवाई हमले के सायरन का संचालन और वायु सेना और नागरिक सुरक्षा नियंत्रण कक्षों के बीच समन्वय जैसे अभ्यास परिदृश्य शामिल हुए।

जम्मू-कश्मीर के अखनूर में एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस की मॉक ड्रिल ऑपरेशन शील्ड के तहत जम्मू के बॉर्डर इलाके अखनूर में मॉक ड्रिल की गई। इसमें जम्मू कश्मीर पुलिस, SDRF , सिविल डिफेंस, फायर ब्रिगेड, स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर ये मॉक ड्रिल की। श्रीनगर में DC कार्यालय में भी मॉक ड्रिल किया गया।

मॉक ड्रिल एक तरह की पूर्वाभ्यास प्रक्रिया होती है, जिसमें यह जांचा जाता है कि यदि कोई आपात स्थिति जैसे कि एयर स्ट्राइक, बम हमला, आतंकी हमला या प्राकृतिक आपदा आती है, तो प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियां और आम लोग कितनी तत्परता और सही तरीकों से प्रतिक्रिया देते हैं और खुद को सुरक्षित रखते हुए लोगों को भी सुरक्षित रखते हैं। आमतौर पर इसमें सायरन का बजना, लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना, घायलों को रेस्क्यू करना, मेडिकल टीमों की तैनाती, पुलिस और सेना की फील्ड तैयारियां शामिल होती हैं।

ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब है किसी निश्चित इलाके की बिजली और सभी रोशनी को तय समय के लिए बंद कर देना। इसका मकसद यह होता है कि अगर दुश्मन देश की ओर से हवाई हमला या मिसाइल अटैक होता है, तो अंधेरे में इलाके को सुरक्षित रखा जा सके और दुश्मन को टारगेट पहचानने में दिक्कत हो। यह एक्सरसाइज रात के समय में होती है और लोगों को पहले से ही इसकी जानकारी दे दी गई होती है। इसमें पुलिस, सेना और प्रशासनिक एजेंसियां शामिल होती हैं।

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