भारत की सहनशीलता समाप्त! थरूर ने कोलंबिया में चीन-पाकिस्तान को सुनाई खरी-खोटी
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कोलंबिया के बोगोटा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने पाकिस्तान और चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस के रुख को स्पष्ट करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं।

थरूर ने कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाले 81% सैन्य उपकरण चीन द्वारा सप्लाई किए जाते हैं। उन्होंने कहा, यह डिफेंस सपोर्ट है, लेकिन सच यह है कि इन हथियारों का इस्तेमाल अक्सर रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक उद्देश्यों के लिए होता है, खासकर भारत के खिलाफ। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि हर संप्रभु राष्ट्र को अपने सामरिक हितों की पूर्ति का अधिकार है, लेकिन जब ये हित आतंकवाद को बढ़ावा दें और पड़ोसी देशों की शांति को खतरे में डालें, तब सवाल उठना स्वाभाविक है।

थरूर ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भी बात की, जो चीन की बेल्ट एंड रोड योजना (BRI) का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान के विकास में बाधा नहीं है, लेकिन उसका विरोध उस आतंकवाद से है जो भारत के विरुद्ध पनपा और पोषित हुआ है।

सिंधु जल संधि को रद्द करने के फैसले पर थरूर ने कहा कि अब भारत की सहनशीलता की सीमा पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि भारत ने 1960 के दशक में सद्भाव और विश्वास के साथ यह संधि पाकिस्तान को पेश की थी, लेकिन बीते चार दशकों में पाकिस्तान ने इस भरोसे को बार-बार तोड़ा है।

थरूर ने कहा, हम एक ऊपरी riparian देश हैं। फिर भी हमने उदारता से वह जल पाकिस्तान को दिया, जिसकी उसे ज़रूरत थी और खुद अपने हिस्से का पूरा उपयोग तक नहीं किया। लेकिन अब वक्त बदल गया है। हमारी सरकार ने यह संधि फिलहाल के लिए स्थगित कर दी है और यह तब तक लागू नहीं होगी, जब तक पाकिस्तान फिर से सद्भाव और भरोसे की भावना नहीं दिखाता।

कोलंबिया द्वारा भारत के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर संवेदना जताने पर थरूर ने कहा कि उस बयान के समय शायद पूरी स्थिति की गहराई नहीं समझी गई थी। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंक के खिलाफ कार्रवाई की थी और यह कार्रवाई आत्मरक्षा में थी। ऐसे में भारत की आलोचना न्यायोचित नहीं है।

थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा एक ज़िम्मेदार, शांतिप्रिय और विकासोन्मुख राष्ट्र रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह अपेक्षा की कि वे उन देशों पर दबाव डालें जो आतंकवादियों को शरण और संरक्षण देते हैं, क्योंकि आतंकवाद सिर्फ भारत की समस्या नहीं, पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए ख़तरा है।

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