पाकिस्तान के निर्वासित नेता अल्ताफ हुसैन की पीएम मोदी से गुहार: प्लीज बचा लीजिए
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच, पाकिस्तान के निर्वासित और विवादित नेता अल्ताफ हुसैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक भावुक अपील की है।

लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि वह बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए उर्दू भाषी लोगों, यानी मुहाजिरों की हालत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएं।

हुसैन का कहना है कि मुहाजिरों को पाकिस्तान में अभी तक बराबरी का दर्जा नहीं मिला है और वे लगातार भेदभाव और जुल्म का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने मुहाजिरों को कभी अपने नागरिकों के तौर पर पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया।

अल्ताफ हुसैन का दावा है कि पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई और हिंसा में अब तक 25,000 से ज्यादा मुहाजिर मारे जा चुके हैं। हुसैन ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सरकार और सेना मुहाजिरों की आवाज को दबा रही है और उन्हें राजनीतिक और सामाजिक रूप से अलग-थलग किया जा रहा है।

अल्ताफ हुसैन पाकिस्तान के एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने हमेशा मुहाजिरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। मुहाजिर उन लोगों को कहा जाता है जो 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत से पाकिस्तान गए थे। ये अधिकतर उर्दू भाषी लोग हैं जो कराची और हैदराबाद जैसे शहरों में बस गए। अल्ताफ हुसैन ने इन्हीं लोगों के हक के लिए 1984 में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) नामक एक राजनीतिक पार्टी बनाई।

अल्ताफ हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1953 को कराची में हुआ था। शुरू में छात्र राजनीति से शुरुआत करने के बाद जल्दी ही वे मुहाजिरों के बीच लोकप्रिय हो गए। लेकिन MQM पर कराची में हिंसा, फिरौती और टारगेट किलिंग जैसे आरोप लगे। इसके बाद 1992 में वह पाकिस्तान छोड़कर लंदन चले गए।

लंदन जाकर अल्ताफ हुसैन ने ब्रिटिश नागरिकता ले ली। पाकिस्तान में उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, और लंदन में भी उस पर मनी लॉन्ड्रिंग और भड़काऊ भाषणों से जुड़े मामलों की जांच हुई है। 2016 में उनके एक भाषण के बाद MQM दो हिस्सों में बंट गई - एक हिस्सा पाकिस्तान में रह गया (MQM-Pakistan) और दूसरा हिस्सा लंदन में उसके साथ जुड़ा रहा।

आज की तारीख में पाकिस्तान की राजनीति में अल्ताफ हुसैन का असर पहले जैसा नहीं है। उसकी पार्टी कमजोर हो गई है और कई पुराने साथी भी उनसे अलग हो चुके हैं। लेकिन जब भी वो कोई बयान देता है, वह सुर्खियों में आ जाता है।

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