क्या कमलनाथ फिर थामेंगे दिल्ली की राह? कांग्रेस नेता ने खोला अपना मन
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कमलनाथ का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह सवाल मध्य प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या वे फिर से केंद्र की राजनीति में सक्रिय होंगे, या मध्य प्रदेश में ही रहकर राज्य की सेवा करेंगे? इन प्रश्नों का जवाब खुद कमलनाथ ने दिया है।

कमलनाथ ने बताया कि उनकी संजय गांधी और राजीव गांधी के साथ स्कूल में पढ़ाई हुई थी। वे इंदिरा गांधी को भी बचपन से जानते थे। बोर्डिंग स्कूल में इंदिरा गांधी अक्सर उनसे मिलने आती थीं और उनके साथ घूमने भी जाती थीं। उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी, क्योंकि उनका परिवार इलेक्ट्रिकल्स के बिजनेस में था।

1976 में कमलनाथ ने यूथ कांग्रेस जॉइन की, और 1977 में कांग्रेस और इंदिरा गांधी की हार के बाद उन्होंने संजय गांधी के नेतृत्व में आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। 1979 में संजय गांधी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया।

कमलनाथ ने बताया कि संजय गांधी की बात सुनकर वे अपने गृह जिले छिंदवाड़ा लौट गए। उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा में उनके परिवार की जमीन थी, जो उन्हें पाकिस्तान से आने के बाद मिली थी। हालांकि, वहां स्कूल-कॉलेज न होने के कारण उनकी पढ़ाई बाहर से हुई थी।

कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के विकास को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उस समय वहां 95 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। दिसंबर 1979 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भरा और सातवीं लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने।

कमलनाथ ने पुराने दिनों की लोकसभा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय लोकसभा में बाबू जगजीवन राम और बीजू पटनायक जैसे दिग्गज नेता हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि उस समय लोकसभा में अच्छे भाषण और वाद-विवाद होते थे, और विचारों को स्वतंत्रता से रखने की अनुमति थी। उन्होंने आज की लोकसभा में आए बदलावों पर भी दुख जताया।

सबसे लंबे समय तक सांसद रहने का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने बताया कि जब उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिली, तो उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने विधायक बनने और अपने बेटे के संसद का चुनाव जीतने के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हालांकि वे अभी भी वापस केंद्र में जा सकते हैं, लेकिन अब उन्हें लगता है कि उन्होंने केंद्र में बहुत काम कर लिया है और अब वे अपने राज्य में रहना चाहते हैं।

कमलनाथ ने कहा कि वे लंबे समय तक केंद्र में रहे हैं और केंद्रीय मंत्री पद की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं। उन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में काम करते हुए क्लाइमेट चेंज जैसे बड़े मुद्दों पर काम किया और कॉमर्स मिनिस्टर के रूप में निवेश के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। अब वे राज्य के लिए काम करना चाहते हैं।

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