पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित, हड्डियों तक फैला रोग
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82 वर्षीय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, बाइडन प्रोस्टेट कैंसर के आक्रामक रूप से पीड़ित हैं और यह बीमारी उनकी हड्डियों तक फैल चुकी है।

पेशाब संबंधी शिकायत के बाद डॉक्टरों ने जांच की, जिसमें उच्च श्रेणी के कैंसर की पुष्टि हुई। बाइडन की वर्तमान स्थिति हड्डी में मेटास्टेसिस का संकेत देती है। उनका परिवार इलाज के तरीकों पर डॉक्टरों से परामर्श कर रहा है।

प्रोस्टेट नोड्यूल की खोज के बाद बाइडन के कई मेडिकल परीक्षण किए गए थे, जिसमें ग्लीसन स्कोर 9 (ग्रेड ग्रुप 5) पाया गया।

पेशाब में परेशानी बढ़ने के बाद प्रोस्टेट नोड्यूल की नए सिरे से जांच की गई, जिससे पता चला कि बीमारी हड्डियों तक फैल गई है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी हार्मोन-संवेदनशील भी है, जिसका प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।

डॉक्टर केविन ओ कॉनर पहले ही आगाह कर चुके हैं कि गिरने से बाइडन की रिकवरी मुश्किल हो सकती है और उन्हें व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। जोखिम को कम करने के लिए कर्मचारियों ने उनके पैदल चलने के रास्ते को छोटा किया, रेलिंग बनाई गई, और हवाई यात्रा के लिए एयरफोर्स वन विमान में छोटी सीढ़ियों का इस्तेमाल किया गया।

खबरों के मुताबिक, शारीरिक सेहत के कारण ही बाइडन ने पिछले साल जून में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया था।

20 मई को बाइडन से जुड़ी एक किताब रिलीज होने वाली है, जिसका शीर्षक है ओरिजिनल सिन: प्रेसिडेंट बिडेन्स डिक्लाइन, इट्स कवर-अप, एंड हिज डिजास्ट्रस चॉइस टू रन अगेन । इस किताब में बाइडन की शारीरिक सेहत में गिरावट को लेकर अहम बातें लिखी हैं।

2024 के चुनाव के दौरान अंदरूनी डेमोक्रेटिक खेमे के 200 से अधिक लोगों के साक्षात्कारों के आधार पर इस किताब में दावा किया गया है कि अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ समय में बाइडन की सेहत ठीक नहीं रहती थी। उनके सहयोगियों ने लगातार दूसरी बार चुनाव में जीत मिलने की सूरत में व्हीलचेयर की संभावित जरूरत पर चर्चा शुरू कर दी थी। हालांकि, राजनीतिक कारणों से इस पर सार्वजनिक रूप से बात करने से परहेज किया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोस्टेट ग्रंथि में विकसित होने वाला ये कैंसर आमतौर पर वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कम उम्र के लोगों में भी इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि सभी पुरुषों को इस गंभीर कैंसर के मामलों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में करीब 37,948 भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की पहचान की गई। यह इस वर्ष देश में दर्ज किए गए कैंसर के 14 लाख नए मामलों का लगभग तीन प्रतिशत है। अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर के 80 प्रतिशत रोगियों में बीमारी का पता शीघ्र चल जाता है जबकि यहां देर से निदान के मामले 20 प्रतिशत ही हैं।

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