हम यदुवंशी हैं और हमारा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है : बृजेश पाठक के DNA विवाद पर अखिलेश का पलटवार
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समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल द्वारा उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में बवाल मच गया है। भाजपा नेताओं ने सपा और अखिलेश यादव को घेरते हुए माफी मांगने की मांग की थी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने उप मुख्यमंत्री की टिप्पणी का संज्ञान लिया है और पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है, जो समाजवादियों के डीएनए पर की गई टिप्पणी से आहत हुए थे।

अखिलेश ने यह भी कहा कि जिस तरह की बयानबाजी ब्रजेश पाठक करते रहे हैं, उस पर विराम लगना चाहिए। उन्होंने पाठक के बयानों को पद की मर्यादा के खिलाफ बताया।

सपा चीफ ने कहा कि किसी के व्यक्तिगत डीएनए पर भद्दी बात करना दरअसल उसके मूलवंश और मूल उद्गम पर आरोप लगाना है। उन्होंने कहा कि वे यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, इसलिए उनके डीएनए पर प्रहार धार्मिक रूप से भी उन्हें आहत करता है।

अखिलेश ने पाठक से आग्रह किया कि राजनीति करते-करते वे अपनी नैतिकता न भूलें और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को ठेस पहुंचाएं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाठक अपनी टिप्पणी के लिए क्षमा मांगेंगे।

अखिलेश ने यह भी कहा कि एक जनसेवक होने के नाते सबके पास जनसेवा के लिए समय कम रहता है, इसलिए व्यर्थ के विषयों में न उलझकर सकारात्मक राजनीति के उद्देश्यों पर अडिग रहकर आगे बढ़ना चाहिए।

इसरो का सैटेलाइट लॉन्च विफल

इस बीच, इसरो ने श्रीहरिकोटा से PSLV-C61 लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य EOS-09 (पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09) को कक्षा में स्थापित करना था। EOS-09, EOS-04 का ही एक रिपीट उपग्रह था, जिसे रिमोट सेंसिंग डेटा सुनिश्चित करने और अवलोकन की आवृत्ति में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

हालांकि, बाद में खबर आई कि लॉन्चिंग विफल हो गई। इसरो प्रमुख ने बताया कि तीसरे चरण के दौरान कुछ गड़बड़ी देखी गई और मिशन पूरा नहीं हो सका। विश्लेषण के बाद विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

EOS-09 को खासतौर पर एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन, घुसपैठ या संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया था। यह सैटेलाइट बादलों के पीछे से भी तस्वीरें निकालने और सतह तक देखने की क्षमता रखता है। इसे कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और सामरिक और सैन्य अनुप्रयोगों में भी इस्तेमाल किया जा सकता था।

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