मीरवाइज उमर फारूक का सवाल: क्या भारत-पाकिस्तान वाक़ई अमन चाहते हैं?
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श्रीनगर में जुमे की नमाज के बाद तकरीर करते हुए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दुनिया दूर से देखकर तमाशायी की तरह देख रही है और जम्मू कश्मीर एक एटमी फ्लैश प्वाइंट बन गया है.

मीरवाइज ने चिंता जताते हुए कहा कि कभी भी जंग हो सकती है, मामला हाथ से निकल सकता है. हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लिए ये ज़मीनी मसला हो सकता है, लेकिन कश्मीरियों के लिए ये एक ऐसा नासूर है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.

उन्होंने सवाल किया, आखिर कब तक हम इस स्थिति में रहेंगे? हर कोई कश्मीर के बारे में बातें कर रहा है, लेकिन कश्मीरियों की कोई बात नहीं कर रहा. जम्मू कश्मीर के लोगों से नहीं पूछा जा रहा कि वो क्या चाहते हैं? उनके सपने क्या हैं? उनकी पीढ़ियों के लिए उम्मीदें क्या हैं?

मीरवाइज ने पूछा, क्या हम कभी सुकून देख पाएंगे? क्या हम कभी अमन देख पाएंगे? क्या हमारे जख्म कभी भरेंगे? क्या इस समस्या का कभी समाधान निकलेगा? उन्होंने कहा कि मसला और पेचीदा हो गया है. फौजी कार्रवाई दिखाने की पॉलिसी सिर्फ तबाही ला सकती है. इसका फायदा केवल हथियार बनाने वाली एजेंसियां और संस्थान उठा रहे हैं.

उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि आज दुनिया में कश्मीरियों की मुसीबत की किसी को नहीं पड़ी है, लेकिन बहस इस बात पर छिड़ गई है कि किस कंपनी के शेयर बढ़ गए और किसके उतर गए. इंसानों की जान की किसी को फिक्र नहीं है. कश्मीरी सोचने पर मजबूर हैं कि क्या भारत और पाकिस्तान वाकई अमन चाहते हैं? दोनों देश मिलिट्री कार्रवाई की दौड़ में शामिल हो चुके हैं.

मीरवाइज ने ज़ोर देकर कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग अमन चाहते हैं. हम समस्या का हल चाहते हैं. सीजफायर को 18 मई तक बढ़ाया गया है, लेकिन जम्मू कश्मीर के लोग चाहते हैं कि इसे परमानेंट किया जाए, ताकि अमन और शांति हो.

उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि अगर डीजीएमओ आपस में फोन उठाकर बात कर सकते हैं तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लीडर आपस में बात क्यों नहीं कर सकते. क्या हम इंगेज नहीं रह सकते? इसके अलावा कोई और चारा नहीं है, लेकिन अफसोस कि ये ऐसा सच है कि अगर आज हम इस सच को बोलेंगे तो हमें मुल्क दुश्मन होने का लेबल लगाया जाता है.

मीरवाइज ने हैरानी जताते हुए कहा कि जो लोग तबाही की बात करते हैं वो आज के दौर में राष्ट्रवादी हैं, लेकिन जो लोग अमन की बात करते हैं वो एंटी नेशनल हैं.

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