थरूर और ओवैसी समेत 30 सांसद वैश्विक मंच पर उजागर करेंगे पाकिस्तान का सच, मोदी सरकार ने सौंपी जिम्मेदारी
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भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल में, केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने विभिन्न देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक बड़ी कूटनीतिक पहल है, जिसके तहत भारतीय नेता अगले सप्ताह से विभिन्न देशों में जाकर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करेंगे।

केंद्र सरकार ने इस संबंध में विपक्षी दलों सहित कई राजनीतिक दलों के सांसदों से बात की है और कुछ दलों ने इस कूटनीतिक अभ्यास के लिए अपने सदस्यों की उपस्थिति की पुष्टि भी कर दी है।

इस मुहिम में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार 30 से अधिक सांसद इसमें शामिल हो सकते हैं। ये नेता लगभग 10 दिनों तक विभिन्न देशों का दौरा करेंगे और सरकार द्वारा निर्धारित क्षेत्रों में जाएंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) सांसदों को उनके राजनयिक मिशन पर रवाना होने से पहले आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP), जनता दल (यूनाइटेड) JDU, बीजू जनता दल (BJD), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPI(M), और अन्य दलों के सांसद शामिल होंगे। एक संभावित सदस्य ने बताया कि उन्हें 22-23 मई तक 10 दिनों के लिए तैयार रहने को कहा गया है और विदेश मंत्रालय बाद में विस्तृत जानकारी देगा।

अनुराग सिंह ठाकुर और अपराजित सारंगी (भाजपा) इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। कांग्रेस से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह को भी शामिल किया जा सकता है, और पार्टी ने प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने की पुष्टि की है। शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) भी इस डेलिगेशन का हिस्सा हो सकते हैं। खबरों के अनुसार सुदीप बंधोपाध्याय (TMC), संजय झा (JDU), सस्मित पात्रा (BJD), सुप्रिया सुले (NCP-SP), कनिमोझी (DMK), जॉन ब्रिटास (CPI(M)) और असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) को भी इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने की योजना है।

हालांकि सरकार की ओर से आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष से बात की है।

जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री संसद का विशेष सत्र बुलाने को भी तैयार नहीं थे।

रमेश ने कहा कि विपक्षी दलों की एकता और एकजुटता के आह्वान के बावजूद, प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी लगातार कांग्रेस को बदनाम कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च मानती है और भाजपा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करती है। इसलिए, कांग्रेस इन प्रतिनिधिमंडलों का निश्चित रूप से हिस्सा बनेगी।

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