जस्टिस संजीव खन्ना ने पिछले साल 11 नवंबर को चीफ़ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी और 13 मई को रिटायर हो गए. उनका कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उन्होंने कई महत्वपूर्ण फ़ैसले दिए और कोर्ट में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए.
संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हिंसा भड़की थी. इसके बाद इलाहाबाद और राजस्थान की अदालतों में भी मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़े मामले सामने आए. इन विवादों को रोकने के लिए उपासना स्थल क़ानून-1991 बनाया गया था.
दिसंबर में जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में तीन जजों की पीठ ने उपासना स्थल क़ानून से जुड़े एक मामले में अहम फ़ैसला सुनाया. कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि जब तक इन मामलों की सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक कोई भी अदालत इन मुद्दों पर कोई कदम नहीं उठा सकती और न ही कोई नए मामले दाखिल कर सकती है.
इसी तरह, वक़्फ़ क़ानून के संशोधन के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गई थीं. अप्रैल में जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इन याचिकाओं को सुना. उन्होंने एक अंतरिम आदेश जारी करने की मंशा जताई, जिससे यह संकेत मिला कि वे कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं. सरकार के आश्वासन के बाद कोर्ट ने इसे ऑन रिकॉर्ड लिया.
इन फ़ैसलों के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता निशिकांत दुबे ने जस्टिस खन्ना की आलोचना की. संवैधानिक क़ानून के विशेषज्ञ गौतम भाटिया ने कहा कि कोर्ट का फ़ैसला तर्कों के आधार पर होना चाहिए, वरना आगे आने वाले जज इसे बदल सकते हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना के सामने संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ भी याचिकाएँ दायर की गई थीं, जिन्हें उन्होंने ख़ारिज कर दिया. उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश में आम सिविल मामलों को क्रिमिनल मामला बनाया जा रहा है.
जस्टिस संजीव खन्ना के कार्यकाल में न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और जजों के आचरण से जुड़ी दो अहम घटनाएँ भी हुईं. दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नक़दी बरामद हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक रिपोर्ट सार्वजनिक की और एक इन-हाउस कमेटी से जाँच करने को कहा.
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने फ़ुल कोर्ट मीटिंग में यह तय किया कि सभी जज अपनी संपत्ति की जानकारी भारत के चीफ़ जस्टिस को देंगे और यह जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की जाएगी. इसके साथ ही, कोर्ट ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़ी कुछ और जानकारी भी सार्वजनिक की.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर हेट स्पीच दिया था, जिसकी भी इन-हाउस जाँच शुरू की गई थी, लेकिन इस बारे में कोई नई जानकारी बाहर नहीं आई है.
अपने फेयरवेल फंक्शन में जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विदाई दी.
#WATCH | Delhi: BJP MP Nishikant Dubey says Chief Justice of India, Sanjiv Khanna is responsible for all the civil wars happening in this country https://t.co/EqRdbjJqIE pic.twitter.com/LqEfuLWlSr
— ANI (@ANI) April 19, 2025
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