चीन-तुर्की के हथियारों की दुकान बंद होने वाली है? डिफेंस शेयरों में गिरावट के पांच मायने
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भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे संघर्ष के बाद न्यूटन की गति के तीसरे नियम का असर चीन, तुर्किये और भारत की डिफेंस से जुड़ी कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिल रहा है. एक तरफ चीन, तुर्किये के डिफेंस शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है, तो वहीं भारतीय डिफेंस शेयरों में शानदार तेजी देखी जा रही है.

चीन और तुर्किये के हथियार बुरी तरह पिट गए हैं. बैटलफील्ड से बाजार तक चीन और तुर्किये के हथियार बुरी तरह पिट गए हैं. पाकिस्तान ने चीन और तुर्किये के जिन हथियारों से भारत पर हमला किया, वे आसमान में भी पिटे और बाजार में भी एक्सपोज हो गए हैं.

भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा चीन और तुर्किये के ड्रोन, फाइटर जेट्स और मिसाइल का इस्तेमाल किया. लेकिन इस संघर्ष में चीन और तुर्किये के ड्रोन और फाइटर जेट्स भारतीय डिफेंस सिस्टम के सामने बौने बन गए. चीन और तुर्किये के डिफेंस प्रोडक्ट्स की उपयोगिता और गुणवत्ता पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं.

शेयर मार्केट में तुर्किये और चीन एक्सपोज हो गए हैं. चीन के HS China A Aerospace & Defence इंडेक्स में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. इस इंडेक्स में चीन के डिफेंस से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं. इन शेयरों में 2 से 7 फीसदी तक की गिरावट आई.

चीन में एविक चेंगदू (AVIC Chengdu) नाम की एक कंपनी है जो F-17 थंडर और J-10C बनाती है. भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान J-10C फाइटर जेट्स का कई बार नाम सुना गया. भारत-पाकिस्तान के बीच कंडिशनल सीजफायर के बाद इस शेयर में 7 फीसदी की गिरावट आई.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने पाकिस्तानी संसद में बताया था कि भारत के खिलाफ J-10C फाइटर जेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी तरह झुझोउ होंगडा इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड के शेयर में भी 6 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई. झुझोउ होंगडा चीन की सरकारी कंपनी है जो PL-15 मिसाइल बनाती है.

चीन की सरकारी और निजी डिफेंस कंपनियों के शेयर में सीजफायर के बाद गिरावट आई है लेकिन भारतीय डिफेंस शेयरों में 2 से लेकर 10 फीसदी तक की तेजी आई है. मिसाइल बनाने वाली सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स में 10 फीसदी से ज्यादा तेजी आई. एयरोस्पेस के लिए काम करने वाली कंपनी BEL के शेयर में 4 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया. शिप बिल्डिंग करने वाली कंपनियों के शेयरों में भी 4 से 6 फीसदी तक की तेजी आई है.

भारतीय डिफेंस शेयरों में रफ्तार है, लेकिन तुर्किये की बड़ी डिफेंस कंपनी असल्सन ए.एस. जो टैंक से लेकर ड्रोन तक हर तरह के डिफेंस प्रोडक्ट बनाती है, उसके शेयर में बीते तीन दिनों में 12 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ गई है. इस कंपनी के शेयर में गिरावट की शुरुआत शुक्रवार से हुई. तुर्किये ड्रोन्स को भारतीय डिफेंस सिस्टम ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था.

चीन-तुर्किये के डिफेंस शेयरों में गिरावट से पांच अहम संकेत मिलते हैं:

भारत रूस से 36 फीसदी रक्षा सामान, फ्रांस से 33 फीसदी, इजरायल से 18 फीसदी और बाकी दुनिया से 13% सुरक्षा से जुड़े सामान खरीदता है. पाकिस्तान 81 फीसदी डिफेंस सामान चीन से, करीब 4 प्रतिशत तुर्किये से, 3.5 फीसदी नीदरलैंड से और 9 फीसदी से ज्यादा रक्षा सामान बाकी दुनिया से मंगाता है.

चीन और तुर्किये ने भारत-पाकिस्तान के संघर्ष के दौरान अवसर तलाशने की कोशिश की, लेकिन चीन और तुर्किये का डिफेंस सिस्टम एक्सपोज हो गया और भारतीय डिफेंस सिस्टम पर दुनिया का भरोसा बढ़ गया.

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