कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप को उचित ठहराया है. उन्होंने इसके पीछे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का हवाला दिया है.
तिवारी का कहना है कि ट्रंप का बयान तथ्यात्मक है. उन्होंने 1947 से 1972 के बीच भारत-पाकिस्तान के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा, उसकी वजह जम्मू-कश्मीर रहा. उस समय, UNSC के प्रस्ताव दोनों देशों के बीच बातचीत का आधार थे.
उन्होंने आगे कहा कि जब दो परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो दुनिया चुप नहीं रह सकती. इसलिए, अगर दोनों देश आपस में बात नहीं कर रहे हैं, तो विश्व समुदाय निश्चित रूप से हस्तक्षेप करेगा.
तिवारी ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह आतंकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल करता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने पहलगाम नरसंहार के बाद भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया.
उनका मानना है कि पाकिस्तान को अब समझ आ गया होगा कि वह हमेशा परमाणु ब्लैकमेल या आतंकवाद का इस्तेमाल नहीं कर सकता. भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को यह बात स्पष्ट हो गई होगी.
*#WATCH | Chandigarh: Congress MP Manish Tewari says, The statement which has come from US President Donald Trump is, whether you like it or not, a factual statement. If you look at the India-Pakistan paradigm in a perspective from 1947 to 1972, whenever tensions went up between… pic.twitter.com/SfUFESEF1J
— ANI (@ANI) May 13, 2025
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