पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने 22 अप्रैल, 2025 को 26 निर्दोष नागरिकों का धर्म पूछकर नरसंहार किया था। इसके 13 दिन बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के 9 बड़े ठिकानों को हवाई हमला करके नेस्तनाबूत कर दिया।
पाकिस्तान ने भारत में 400 ड्रोन भेजकर हमला किया, लेकिन हमारे डिफेंस सिस्टम ने उन्हें मार गिराया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह कर दिए।
शनिवार (11 मई, 2025) की शाम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीजफायर की घोषणा की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसी भी प्रकार के मध्यस्थता का जिक्र नहीं किया और कहा कि दोनों मुल्कों के DG (मिलिट्री ऑपरेशन्स) ने आपस में बातचीत करके हमलों को रोकने का फ़ैसला लिया है।
हालांकि, पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन जारी रखा और विदेश सचिव विक्रम मिसरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी निंदा करनी पड़ी और कहना पड़ा कि पाकिस्तान को जिम्मेदारीपूर्वक समझौते के पालन करना चाहिए। सीजफायर के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने भी डोनाल्ड ट्रम्प को धन्यवाद दिया, लेकिन भारत ने कहीं ट्रम्प का नाम नहीं लिया।
भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को तबाह कर दिया – नूरखान, रफ़ीकी, मुरीद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चूनियाँ, सरगोधा, सकरदु, भोलारी और जैकोबाबाद। इनमें से नूरखान एयरबेस सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ से कुछ ही दूरी पर पाकिस्तान का परमाणु भंडार रखा हुआ है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में बताया है कि पाकिस्तान को अपने परमाणु भंडार को नष्ट किए जाने का भय था। यही कारण है कि जिस अमेरिकी के राष्ट्रपति JD वेंस ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष से हमारा कोई लेना-देना नहीं है, उसी अमेरिका के राष्ट्रपति ने ट्वीट करके सीजफायर की घोषणा की।
सबसे बड़ी चिंता की वजह तब सामने आई जब पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर धमाके हुए। रावलपिंडी को इस्लामाबाद के पास स्थित एक प्रमुख सैन्य छावनी माना जाता है। यह एयरबेस पाकिस्तान की सेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ से सैन्य परिवहन गतिविधियों का संचालन होता है और यहीं से हवा में ईंधन भरने की व्यवस्था होती है, जिससे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को लंबे समय तक उड़ान में बनाए रखा जा सकता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि यह एयरबेस पाकिस्तान के स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन के मुख्यालय से भी ज्यादा दूर नहीं है। ये वही विभाग है जो देश के परमाणु हथियारों की निगरानी और सुरक्षा करता है। माना जाता है कि पाकिस्तान के पास इस समय लगभग 170 या उससे अधिक परमाणु हथियार हैं, जिन्हें देशभर में अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है।
एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को अपना न्यूक्लियर कमांड सेंटर के खात्मे का डर था। नूरखान एयरबेस पर भारत के हमले को इस रूप में लिया जाना चाहिए कि उसने ये दिखा दिया कि वो पाकिस्तान के परमाणु भंडार को भी नष्ट कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने इस संघर्ष में हस्तक्षेप किया।
इस पूरे संघर्ष में पहले और अंतिम बड़ी स्ट्राइक भारत ने की। 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करके ये शुरू हुआ था, 11 एयरबेस को तबाह करके ये ख़त्म हुआ। पाकिस्तान के इतना भीतर घुसकर भारत ने कभी स्ट्राइक नहीं किया था, ये पहली बार ऐसा हुआ।
मात्र 90 मिनट के भीतर भारत ने पाकिस्तान के भीतर स्थित 11 एयरबेस को ध्वस्त किया, जिससे न केवल पाकिस्तान घबरा गया बल्कि अमेरिका की चिंताएँ भी बढ़ गई थीं। भारत ने अपने लंबे रेंज की मिसाइलों एवं ड्रोन्स का इस्तेमाल करके ये बता दिया कि पाकिस्तान के पूरे के पूरे मिलिट्री फ्रंटलाइन को वो अपनी पूर्ण सैन्य क्षमता का इस्तेमाल किए बिना तबाह करने की क्षमता रखता है। तभी पाकिस्तान भागकर अमेरिका के पास मिन्नतें करते हुए गया।
Let’s be under no illusions why today’s ceasefire happened. My quick 90-second view: pic.twitter.com/7GNAjEv6ST
— Shiv Aroor (@ShivAroor) May 10, 2025
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