हमारी सरकार आने दो, गला काटकर मस्जिद में रखेंगे... - किसकी सरकार की धमकी?
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कोइरीपुर नगर पंचायत में एक घटना ने धार्मिक असहिष्णुता के गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 10 जनवरी 2024 को एक मामूली विवाद के बाद एक मुस्लिम भीड़ द्वारा हिंदुओं पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगा है।

इस हमले में दो हिंदू युवक, जतिन और मोहित, गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनके सिर पर गहरी चोटें आई हैं। कहा जा रहा है कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक हिंदू युवक की बाइक गलती से एक मुस्लिम लड़के के पैर पर चढ़ गई। इस छोटी सी बात पर कहासुनी हुई, जो जल्द ही शांत हो गई।

हालांकि, हिंदू पक्ष का आरोप है कि मामला शांत होने के बावजूद, मुस्लिम पक्ष ने इसे व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल दिया और शाम को बड़ी संख्या में उनके इलाके में हमला करने आ गए।

आरोप है कि मुस्लिम पक्ष के 40-50 लोग लाठी, बाँका और तलवारें लेकर हिंदुओं के घरों पर हमला करने पहुंचे। हमलावरों में जैद राईन, हामिद राईन, सुफियान अंसारी, इसरार, माजिद, सद्दाब, मोहम्मद कैफ, साहिल, और मोहम्मद अनस जैसे नाम सामने आए हैं।

हिंदू परिवारों का आरोप है कि हमलावरों ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया। घटना में सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमलावरों ने धमकी दी, जब हमारी सरकार आ जाएगी, तो तुम्हारा गला काट देंगे, बाल काटकर मस्जिद में रख देंगे।

एफआईआर में यह साफ लिखा गया है कि हमलावर कथित तौर पर समाजवादी पार्टी (सपा) या कांग्रेस (INDIA गठबंधन) की सरकार आने की बात कर रहे थे। यह सवाल उठता है कि क्या किसी भी राजनीतिक दल की सरकार आने पर उन्हें कानून-व्यवस्था तोड़ने और खुलेआम हिंसा करने की छूट मिलेगी?

हमलावरों का यह बयान कथित तौर पर इस्लामी कट्टरपंथी मानसिकता को दर्शाता है, जो राजनीतिक दलों की कमजोरियों का फायदा उठा रही है। यह घटना उस बढ़ती समस्या की ओर इशारा करती है, जो दशकों से भारत में मौजूद है। कुछ राजनीतिक दलों ने कथित तौर पर वोट बैंक तैयार करने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति के जरिए कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया है, जिससे इन कट्टरपंथियों को गला काटने जैसी धमकियां देने का साहस मिला है।

यह घटना केवल सुल्तानपुर की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। अगर इन कट्टरपंथियों और उनके कथित राजनीतिक संरक्षकों को नहीं रोका गया तो स्थिति और भी बुरी हो सकती है।

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घायलों को मेडिकल सहायता दी जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल पुलिस बल से ऐसे हमलों को रोका जा सकता है? क्या राजनीतिक दलों की जवाबदेही नहीं बनती जो इन कट्टरपंथियों के कथित समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं?

देश की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए अब समय आ गया है कि ऐसे तत्वों का सख्ती से विरोध किया जाए।

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