ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने इन 9 आतंकी ठिकानों को ही क्यों चुना?
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भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoK) में ऑपरेशन सिंदूर के तहत जिन ठिकानों को निशाना बनाया, वे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण शिविरों और लॉन्चपैड के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे थे।

इन ठिकानों में पीओके के कोटली, बरनाला कैंप, सरजाल कैंप, महमूना कैंप, बिलाल और पाकिस्तान के मुरीदके, बहावलपुर, गुलपुर, सवाई कैंप शामिल थे।

एयर स्ट्राइक में इस बात का खास ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान का कोई भी सैन्य ठिकाना इसकी जद में न आए। भारत ने संयम बरतते हुए सिर्फ आतंकी ढांचों को ही निशाना बनाया।

भारत ने पाकिस्तान और पीओके में जिन ठिकानों को ध्वस्त किया, उनमें आतंकी सरगना हाफिज सईद और मसूद अजहर के ठिकाने भी शामिल हैं।

पीओके के कोटली, बरनाला कैंप, सरजाल कैंप, महमूना कैंप, बिलाल जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के प्रमुख गढ़ थे। इन जगहों का इस्तेमाल आतंकी प्रशिक्षण शिविरों, हथियार भंडारण और घुसपैठ के लिए लॉन्चपैड के रूप में किया जा रहा था।

पीओके का कोटली कैंप राजौरी के सामने एलओसी से 15 किमी দূরে लश्कर का प्रमुख अड्डा माना जाता है। यह लश्कर-ए-तैयबा के हमलावरों का शिविर था, जिसमें लगभग 50 आतंकवादियों की क्षमता थी। बिलाल कैंप को जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चपैड और राजौरी के सामने एलओसी से 10 किमी दूर बरनाला कैंप को भी निशाना बनाया गया।

सांबा-कठुआ के सामने अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 8 किमी दूर जैश-ए-मोहम्मद के सरजाल कैंप पर भी हमला हुआ। अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी दूर, सियालकोट के पास महमूना कैंप पर भी हमला किया गया।

बहवलपुर को JeM का मुख्यालय माना जाता है, जिसकी स्थापना मसूद अजहर ने 1999 में IC-814 विमान अपहरण के बाद रिहाई के बाद की थी। यह जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख केंद्र रहा है। मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय और प्रशिक्षण केंद्र स्थित है, जिसे अक्सर जमात-उद-दावा के नाम से छिपाने की कोशिश की जाती है।

जिन ठिकानों पर हमला किया गया, वे भारत की सीमा के करीब हैं और इनसे घुसपैठ और हमलों की योजना बनाना आसान होता है। इन्हें निशाना बनाकर भारत ने आतंकियों की आपूर्ति श्रृंखला और गतिविधियों को बाधित करने का लक्ष्य रखा।

भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने इन ठिकानों को सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर चुना। ऑपरेशन की योजना को रणनीतिक रूप से तैयार किया गया था ताकि सिर्फ आतंकी ढांचे को नुकसान पहुंचे और नागरिकों या पाकिस्तानी सैन्य सुविधाओं को निशाना न बनाया जाए।

ऑपरेशन का नाम सिंदूर और इन विशिष्ट ठिकानों का चयन आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को दर्शाता है। ये हमले आतंकियों और उनके समर्थकों के लिए एक चेतावनी थे कि भारत आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

इन ठिकानों को चुनकर भारत ने अपनी सैन्य और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

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