केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने की घोषणा के बाद, श्रेय लेने की होड़ में राजनीतिक दल जुटे हैं। तेजस्वी यादव के ट्वीट ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है।
तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना के बहाने निजी क्षेत्र, ठेकेदारी और न्यायपालिका में आरक्षण लागू करने की मांग की है, जिससे देशभर में आरक्षण का मुद्दा फिर से उठ सकता है।
बिहार में जातिगत सर्वे के बाद, नीतीश सरकार ने विधानमंडल से कानून बनाकर आरक्षण में बढ़ोतरी की थी। इस कानून को केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। पटना हाईकोर्ट ने बढ़े हुए आरक्षण को रद्द कर दिया था।
अब, केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के फैसले के बाद, जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के नारे के साथ आरक्षण पर बहस तेज हो गई है।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर शेयर करते हुए कहा है कि जातिगत जनगणना तो शुरुआत है, असली तस्वीर अभी बाकी है। उन्होंने पिछड़े/अति पिछड़ों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, निजी क्षेत्र में आरक्षण, ठेकेदारी में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण, मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों को लागू करने और आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की मांग की है। उन्होंने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज की भी मांग की है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि उच्च मानसिकता के समता विरोधी संकीर्ण और नकारात्मक संघी और भाजपाई इस पर भी उन्हें गाली देंगे, लेकिन बाद में बेशर्मी से उनके ही एजेंडे को अपना मास्टर स्ट्रोक कहेंगे।
तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद बीजेपी और जेडीयू की तरफ से भी बयानबाजी तेज हो गई है।
आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव का कहना है कि तेजस्वी यादव जो कहते हैं, वो करते हैं। जातीय गणना भी तेजस्वी यादव के प्रयासों के कारण ही हुई थी।
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने तेजस्वी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव की राजनीति समाजवाद नहीं, बल्कि जातिवाद के रास्ते परिवारवाद की रोटी सेकने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि जिस समाजवाद की दुहाई लालू यादव और उनका परिवार देते आए हैं, वह एक विशेष जाति तक सीमित, संकुचित और स्वार्थपूर्ण एजेंडे का दूसरा नाम रहा है।
जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि तेजस्वी यादव क्रेडिट पॉलिटिक्स में लगे हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण की दलील देने वाले तेजस्वी यादव पहले अपनी पार्टी में आरक्षण को देखें और पार्टी का अध्यक्ष किसी दलित या अति पिछड़े को बनाएं।
कांग्रेस केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने की घोषणा को राहुल गांधी से जोड़कर देख रही है। पार्टी प्रवक्ता राजेश राठौड़ के अनुसार, उनके नेता राहुल गांधी की वजह से ही केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना कराने की घोषणा करनी पड़ी है।
*जातिगत जनगणना तो शुरुआत है, पिक्चर अभी बाक़ी है:-
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 2, 2025
• पिछड़ों/अति पिछड़ों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र
• निजी क्षेत्र में आरक्षण
• ठेकेदारी में आरक्षण
• न्यायपालिका में आरक्षण
• मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों को लागू करेंगे
• आबादी के अनुपात में आरक्षण देंगे
• बिहार के… pic.twitter.com/fGOacT8pK2
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