कश्मीर छोड़ो, तालिबान भी भारत के साथ! पाक सांसद ने लगाई सेना की क्लास
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पाकिस्तान के प्रमुख धार्मिक नेता और सांसद मौलाना फजलुर रहमान ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर पाकिस्तानी सेना और सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर ध्यान देने से पहले, पाकिस्तान को अफगानिस्तान के मसले को सुलझाने की जरूरत है। मौलाना का दावा है कि अफगानिस्तान हमेशा से भारत का समर्थक रहा है और अब तो तालिबान भी भारत के पक्ष में खड़ा है।

राजधानी इस्लामाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए मौलाना फजलुर रहमान ने कहा, पाकिस्तान की सेना और सरकार की सोच से कोई फायदा नहीं हो रहा। कश्मीर के मुद्दे को बार-बार उठाने से पहले हमें अफगानिस्तान के हालात पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने आगे कहा, अफगानिस्तान ने हमेशा भारत का साथ दिया है, और अब तो तालिबान भी भारत के साथ है। ऐसे में सेना की पुरानी नीतियां हमें और मुश्किल में डाल रही हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति और क्षेत्रीय रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तानी सेना की रणनीति को नाकाम करार देते हुए कहा कि सेना की एकतरफा सोच ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया है।

इस्लामाबाद में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा, जाहिर शाह से लेकर अशरफ गनी तक अफगानिस्तान में भारत समर्थक सरकारें रही हैं। वहां एक इस्लामिक अमीरात सरकार है जिसे हम कूटनीतिक सफलता के साथ पाकिस्तान समर्थक बनाने में सफल हो सकते थे, लेकिन हमने उन्हें भी दूर कर दिया है।

उन्होंने सवाल उठाया कि इंडोनेशिया, मलेशिया, अफगानिस्तान, ईरान, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाएं ऊपर जा रही हैं, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था क्यों पिछड़ रही है।

मौलाना ने पाकिस्तानी सेना से कहा कि वे स्वीकार करें कि वर्तमान स्थिति में उनके पीछे कोई मजबूत राजनीतिक ताकत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भारत की बात आती है, तो पूरा देश एकमत होता है, लेकिन अफगानिस्तान के मामले में स्थिति अलग है।

मौलाना का यह बयान कि तालिबान भी भारत का समर्थन कर रहा है चर्चा का विषय बन गया है। भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता, बुनियादी ढांचे के विकास और कूटनीतिक संबंधों के जरिए अपनी स्थिति मजबूत की है।

पाकिस्तान में मौलाना फजलुर रहमान के इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। कुछ लोग इसे पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ बगावत के तौर पर देख रहे हैं।

मौलाना ने इजरायल समर्थक देशों की आलोचना करते हुए कहा कि हमास के प्रतिनिधियों का पाकिस्तान में स्वागत किया गया। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से फिलिस्तीन के लिए दृढ़ रुख अपनाने का आग्रह किया।

मौलाना ने चेतावनी दी कि इजरायल को मान्यता देने के प्रयासों का विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि फिलिस्तीन पर इजरायल का कब्जा है, और जब फिलिस्तीनी खुद एक देश की मांग कर रहे हैं, तो दो-राज्य समाधान की बात करना गलत है। पाकिस्तान ने अभी तक इजरायल को मान्यता नहीं दी है।

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