पुणे के पिंपरी चिंचवड़ में स्थित मोरया गोसावी समाधि स्थल पर दो मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज़ अदा करने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू संगठनों ने इस घटना को धार्मिक स्थल की मर्यादा भंग बताते हुए गौमूत्र से शुद्धिकरण किया और शिव वंदना की।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें दो मुस्लिम महिलाएं नमाज़ अदा करती हुई दिख रही हैं। वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू सकल समाज के कार्यकर्ता समाधि स्थल पर पहुंचे और शुद्धिकरण प्रक्रिया शुरू कर दी। उन्होंने नारेबाजी करते हुए इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया।
पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस अधिकारी दोनों समुदायों के लोगों से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। फिलहाल इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
पिंपरी चिंचवड़ पुलिस उपायुक्त अजय बंसोड़े ने कहा कि यह घटना एक सांप्रदायिक विवाद का रूप न ले, इसके लिए वे दोनों पक्षों से संवाद कर रहे हैं। वीडियो जांच के दायरे में है और अगर किसी ने कानून का उल्लंघन किया है तो कार्रवाई की जाएगी।
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं। नमाज़ जैसे कृत्य जहां धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा हो सकते हैं, वहीं यह दूसरों के लिए असहमति का विषय भी बन सकते हैं, खासकर यदि वह स्थान किसी विशेष धर्म से जुड़ा हो।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार मोरया गोसावी समाधि स्थल एक सार्वजनिक स्थल है, लेकिन उसकी देखरेख हिंदू ट्रस्ट द्वारा की जाती है। ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि वहां नमाज़ पढ़ना स्थल की मर्यादा के विरुद्ध है।
इस घटना पर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस ने कहा कि हर भारतीय को संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है और नमाज़ पढ़ने में किसी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वहीं भाजपा नेताओं ने इसे सोची-समझी उकसावे की कार्रवाई करार दिया।
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। एक वर्ग इसे धार्मिक असहिष्णुता बता रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे धार्मिक स्थल की मर्यादा का उल्लंघन करार दे रहा है।
धार्मिक मामलों के जानकार प्रोफेसर मोहम्मद अली का कहना है कि नमाज़ पर आपत्ति करना संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है। वहीं हिंदू संस्कृति पर शोध करने वाले प्रोफेसर शंकरलाल मिश्रा ने कहा कि हर धर्मस्थल की एक धार्मिक पवित्रता होती है और वहां बिना अनुमति के ऐसे कार्य करना सही नहीं है।
इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक संवाद की आवश्यकता की ओर इशारा किया है। नमाज़ जैसी घटनाएं केवल भावनाओं की परीक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी कसौटी हैं। संवाद के माध्यम से समाधान निकाला जाए तो ऐसे विवादों से बचा जा सकता है।
*🪩 मुस्लिम महिला ने पढ़ी नमाज़ तो उस स्थान को गौमूत्र से किया गया शुद्धिकरण।
— IND Story s (@INDStoryS) April 30, 2025
महाराष्ट्र पुणे के पिंपरी चिंचवड़ में मोरया गोसावी की समाधि स्थल के आसपास दो मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज अदा करने के बाद,
हिंदू सकल समाज ने उस स्थान को गौमूत्र से शुद्ध किया और वहां शिव वंदना की।… pic.twitter.com/KlcrI8Zz3B
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