पहलगाम हमले पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गर्मागरम बहस, निंदा प्रस्ताव पारित
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहलगाम आतंकी हमले पर विशेष सत्र बुलाया गया। सत्र की शुरुआत स्पीकर ने हमले को लेकर अपनी बात रखते हुए की। उन्होंने कहा कि इस सत्र का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि हम सब आतंकवाद के खिलाफ हैं।

स्पीकर ने कहा कि पहलगाम हमले ने मानवता को झकझोर दिया है। उन्होंने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह घटना उन चुनौतियों का स्मरण कराती है जिनका हम सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने निंदा प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा कि उन्हें विश्वास नहीं होता कि कुछ दिन पहले वे इसी सदन में बजट और अन्य मुद्दों पर बहस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंतिम दिन वे चाय पी रहे थे और सोच रहे थे कि कश्मीर में अगला सत्र कब होगा। तब किसी ने नहीं सोचा था कि इस तरह के माहौल में उन्हें मिलना पड़ेगा।

उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उपराज्यपाल से अनुरोध किया था कि वे एक दिन का सत्र बुलाएं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ही यहां के लोगों के दुख-दर्द को समझ सकती है।

भावुक होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 साल बाद उन्होंने ऐसा हमला देखा है। उनके पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मौके का इस्तेमाल पूर्ण राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करेंगे।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार के पास नहीं है। लेकिन वे इस मौके का इस्तेमाल करके पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों की मौत का इस्तेमाल करके पूर्ण राज्य का दर्जा मांगना उनकी राजनीति का हिस्सा नहीं है।

स्पीकर के बयान के बाद उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी ने पहलगाम हमले को लेकर सदन में प्रस्ताव पेश किया। सभी दलों के सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और हमले की निंदा की। सदन में मौन भी रखा गया। शहीद सैयद आदिल हुसैन शाह को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने पर्यटकों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी थी।

उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास इस हादसे की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है और यहां से जाने वाले लोग यहां के दूत बनकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शेर और बकरी ने एक साथ पानी पिया है और यहां का इतिहास भाईचारे का है।

सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि अगर कहीं से उन्हें रोशनी की किरण नजर आती है तो वह जम्मू-कश्मीर है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जम्मू-कश्मीर के भाईचारे को नजर लगाना चाहते हैं और इसे खत्म करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की धरती कई बार खून से लथपथ हुई है। उन्होंने कहा कि आदिल शाह ने लोगों की जान बचाने में अपनी जान गंवा दी। उन्होंने दुआ की कि यह जम्मू-कश्मीर पर आखिरी हमला हो।

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