पहलगाम हमले पर चीन का समर्थन: पाकिस्तान की निष्पक्ष जांच की मांग, गहरी दोस्ती का राज़ क्या?
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री इसहाक़ डार के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद चीन ने पाकिस्तान की निष्पक्ष जांच की मांग का समर्थन किया है।

चीनी सरकारी मीडिया के अनुसार, चीन भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर करीब से नजर रख रहा है। चीन जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच शुरू करने का समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि दोनों पक्ष इस मामले में संयम बरतेंगे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भी शनिवार को कहा था कि पाकिस्तान निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है।

चीन ने पहले भी पहलगाम हमले की निंदा की थी और सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करने की बात कही थी।

पिछले हफ्ते पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी बॉर्डर को बंद करने जैसे कदम उठाए थे, जबकि पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते से बाहर होने जैसे फैसले लिए थे।

इसहाक़ डार ने चीनी विदेश मंत्री से कहा कि पाकिस्तान ऐसी कार्रवाइयों का विरोध करता है जो तनाव बढ़ा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान इस स्थिति को परिपक्व तरीके से संभालने और चीन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संवाद जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। उन्होंने आतंकवाद से मुकाबला करने को सभी देशों की जिम्मेदारी बताते हुए पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों का समर्थन किया। वांग यी ने कहा कि चीन पाकिस्तान की वैध सुरक्षा चिंताओं को पूरी तरह से समझता है और उसके सुरक्षा हितों को बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन करता है।

वांग यी ने निष्पक्ष जांच की तत्काल शुरुआत का समर्थन करते हुए उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष संयम बरतेंगे और तनाव कम करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि संघर्ष न तो भारत और पाकिस्तान के मौलिक हितों को पूरा करता है और न ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को।

शहबाज़ शरीफ़ ने भारत पर पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया था और कहा था कि पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन इसे उसकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।

पहलगाम हमले के बाद चीन ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की थी और सभी तरह के आतंकवाद का विरोध किया था।

चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की मुख्य वजह दोनों देशों की भारत से दुश्मनी मानी जाती है। दोनों देश आर्थिक और रक्षा क्षेत्र में एक-दूसरे के बड़े सहयोगी हैं।

हालांकि, चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती पहले इतनी गहरी नहीं थी, लेकिन 1956 में चीनी प्रधानमंत्री चाउ एन लाई के दौरे से दोनों देशों के बीच संबंधों के एक नए युग की शुरुआत हुई।

1962 में जब चीन ने सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ युद्ध छेड़ा, तो पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की नींव भारत से साझा दुश्मनी पर टिकी।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत के खिलाफ चीन ने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है, चाहे वह आतंकवाद का मसला हो या एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट का मामला हो।

चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर या सीपेक चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बनाया जा रहा है और चीन इसे अपनी सबसे महत्वपूर्ण परियोजना मानता है।

पाकिस्तान चीनी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के कई पहलू शामिल हैं।

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