सिर पर टोपी, हाथों में माला: पोप फ्रांसिस की लाल ताबूत में पहली तस्वीरें
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वैटिकन ने मंगलवार को पोप फ्रांसिस के निधन के बाद पहली तस्वीरें और वीडियो जारी किए हैं. वीडियो में उन्हें ताबूत में लेटे हुए दिखाया गया है.

पोप फ्रांसिस की सोमवार को 88 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी. तस्वीरों में उन्हें लाल रंग के धार्मिक वस्त्रों में देखा जा सकता है, उनके सिर पर एक खास टोपी (माइटर) है और हाथों में एक माला है.

ये तस्वीरें वैटिकन के कासा सांता मार्ता के निजी चैपल में ली गईं, जहां वे रहते थे और जहां उनकी मृत्यु हुई. वैटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन को उनके शव के पास प्रार्थना करते देखा गया.

पोप फ्रांसिस की मृत्यु 21 अप्रैल को सुबह 7:35 बजे हुई. वैटिकन के डॉक्टर आंद्रिया अर्कान्जेली ने बताया कि उनकी मृत्यु एक स्ट्रोक (दिमागी दौरा) की वजह से हुई, जिसके बाद वे कोमा में चले गए और उनका दिल काम करना बंद कर गया.

पोप लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे, जैसे टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, सांस की पुरानी दिक्कतें और दोनों फेफड़ों में निमोनिया. हाल ही में वे पांच हफ्तों तक निमोनिया की वजह से अस्पताल में भर्ती थे.

उनकी आखिरी सार्वजनिक मौजूदगी ईस्टर संडे (20 अप्रैल) को सेंट पीटर स्क्वायर में थी, जहां उन्होंने पोपमोबाइल से लोगों को आशीर्वाद दिया, लेकिन वे बोलने की हालत में नहीं थे.

पोप की मृत्यु के बाद मंगलवार सुबह 9 बजे वैटिकन में कार्डिनल्स की एक बैठक हुई. इसमें उनके अंतिम संस्कार, दफन और नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया पर बात हुई.

पोप फ्रांसिस ने खुद नए नियम बनाए थे, जिनके मुताबिक उनका अंतिम संस्कार उनकी मृत्यु के छह दिनों के अंदर होना चाहिए.

बुधवार से उनके शव को सेंट पीटर बेसिलिका में आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जा सकता है. पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के लिए शनिवार सुबह 10 बजे का समय तय किया गया है.

कार्डिनल ने तय किया है कि सेंट पीटर्स बेसेलिका में पोप फ्रांसिस की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए बुधवार सुबह रखा जाएगा.

पोप फ्रांसिस ने अपनी आखिरी इच्छा में कहा था कि उन्हें सेंट पीटर बेसिलिका में नहीं, बल्कि रोम के बेसिलिका ऑफ सेंट मैरी मेजर में दफनाया जाए. ऐसा करने वाले वे करीब 150 सालों में पहले पोप होंगे.

पोप फ्रांसिस को सेंट मैरी मेजर में एक खास मरियन आइकन, सैलस पॉपुली रोमानी, से बहुत लगाव था. वे हर विदेशी दौरे के बाद वहां प्रार्थना करने जाते थे.

उनकी इच्छा थी कि उनकी कब्र जमीन में हो, साधारण और बिना किसी सजावट के, जिस पर सिर्फ फ्रांसिस्कस लिखा हो.

पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था और वे अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में पैदा हुए थे. मार्च 2013 में वे पहले लैटिन अमेरिकी पोप बने.

उनके 12 साल के कार्यकाल में उन्होंने चर्च में सुधार लाने, गरीबों की मदद करने और दुनिया भर में लोगों को जोड़ने की कोशिश की.

उनकी आखिरी ईस्टर संडे की मौजूदगी, जहां उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया, उनकी सादगी और सेवा की भावना को दर्शाती है.

पोप फ्रांसिस की मृत्यु ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है. उनके अंतिम संस्कार में कई देशों के बड़े नेता शामिल होंगे, और इसके बाद कार्डिनल्स नए पोप का चुनाव करेंगे.

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