फीस वृद्धि पर बवाल: 10 स्कूलों को नोटिस, हाईकोर्ट की फटकार
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दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा की जा रही फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों का गुस्सा फूट पड़ा है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मुद्दे पर भाजपा की प्रदेश सरकार को घेरा है। दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने कहा है कि सरकार मामले में सख्त कार्रवाई कर रही है।

दिल्ली सरकार ने 600 स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट मंगवाई है और अब तक 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। श्री सूद ने कहा कि दिल्ली के सभी 1,670 स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा और पिछली लेनदेन की जांच करके दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

मंत्री सूद ने पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि इतने सालों तक स्कूलों के अनिवार्य ऑडिट की अनदेखी क्यों की गई? उन्होंने कहा कि जहां पहले सालाना केवल 75 स्कूलों का ऑडिट होता था, वहीं उनकी सरकार ने सिर्फ 7 दिनों में 600 स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट जुटा ली है।

आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली में बच्चों को पढ़ाना दुस्वप्न बन चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शिक्षा माफिया की ढाल बनकर खड़ी है। पार्टी ने कहा कि अगर भाजपा सरकार निजी स्कूलों पर अंकुश नहीं लगाएगी, तो दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी।

आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि फीस वृद्धि की समस्या को लेकर अभिभावकों को मजबूर होकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वह निजी स्कूलों की मनमानी पर एक्शन क्यों नहीं ले रही है।

इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने फीस ना चुका पाने पर छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार के लिए डीपीएस द्वारका को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि स्कूल ने छात्रों को सामान की तरह माना और उन्हें लाइब्रेरी में बंद कर कक्षाओं में भाग लेने से रोका, जो अक्षम्य है।

कोर्ट ने स्कूल को पैसे कमाने की मशीन करार देते हुए कहा कि ऐसी संस्था को बंद कर देना चाहिए। अदालत ने स्कूल को निर्देश दिया कि वह छात्रों को लाइब्रेरी में बंद न करे, उन्हें कक्षाओं में भाग लेने दे और स्कूल की सुविधाओं का उपयोग करने से न रोके।

अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे व्यवहार के लिए स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। कोर्ट ने दक्षिण-पश्चिम जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली जांच समिति की रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें फीस वृद्धि विवाद के बीच स्कूल द्वारा छात्रों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण व्यवहारों को उजागर किया गया था।

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