ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ अमेरिका में आक्रोश, लगे ट्रंप-मस्क गो बैक के नारे
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ अमेरिका में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। ट्रंप द्वारा अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के बाद न केवल विदेशी नागरिक, बल्कि अमेरिकी नागरिक और नेता भी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

ट्रंप के खिलाफ यह विरोध उनकी टैरिफ नीति के परिणामस्वरूप हो रही छंटनी, आर्थिक मंदी और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दों पर हो रहा है। पहले जहां अमेरिकी जनता ने ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर जश्न मनाया था, वहीं अब सिविल राइट्स ग्रुप्स, श्रमिक संघ, एलजीबीटीक्यू समुदाय और महिला अधिकार संगठन उनकी नीतियों का विरोध करने सड़कों पर उतर आए हैं।

6 अप्रैल को ट्रंप के खिलाफ 1200 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। 5 अप्रैल को हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट शुरू हुआ था, जो ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों ने खासकर छंटनी और सामूहिक डिपोर्टेशन की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया। वाशिंगटन डीसी के नेशनल मॉल से लेकर मैनहैटन और बॉस्टन तक प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप और मस्क के खिलाफ नारे लगाए और कुलीनतंत्र से लड़ो जैसे नारे लगाए।

7 अप्रैल को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और 1400 से अधिक रैलियां आयोजित की गईं। इस दिन की रैली का नाम हैंड्स-ऑन रखा गया। रैली में 6 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। हैंड्स-ऑन का मतलब था हमारे अधिकारों से दूर रहो ।

प्रदर्शनकारियों ने मुंह पर सांकेतिक पट्टी बांध रखी थी, जो एक तरह से ट्रंप के शासन में हो रहे दमन और स्वतंत्रता के हनन का प्रतीक था। इन प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप का शासन देश को एक खतरनाक दिशा में ले जा रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन 2020 में हुए ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के बाद ट्रंप के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन हो सकता है।

ट्रंप के टैरिफ लगाने से अमेरिका को कई तरह के नुकसान हो रहे हैं। नाराज अमेरिकी नागरिकों का कहना है कि ट्रंप अपनी नीतियों के जरिए रूस जैसे देशों के हित में काम कर रहे हैं, जबकि अमेरिका को नुकसान हो रहा है। उनके अनुसार टैरिफ अमेरिका के लिए एक खतरा है, क्योंकि यह दूसरे देशों को अमेरिका में सामान बेचने के लिए टैक्स देने को मजबूर करता है, जिसके कारण विदेशी सामान महंगे हो जाते हैं। इसका सीधा असर अमेरिकी मिडिल क्लास पर पड़ता है, जिनके बजट पर दबाव बनता है।

अमेरिकी नागरिकों के लिए एक और बड़ी चिंता यह है कि उनका देश दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है। इसका मतलब है कि अमेरिका अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरे देशों पर निर्भर है। चाहे वह खाने-पीने का सामान, गाड़ियां, दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, मेटल्स या कुछ और हो, ये सारी चीजें अमेरिका में विदेशों से आती हैं। इस प्रकार अगर टैरिफ बढ़ते हैं तो यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगा पड़ सकता है और उनका जीवन स्तर प्रभावित हो सकता है।

ट्रंप की टैरिफ नीति ने न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित किया है, बल्कि यह अब अमेरिकी नागरिकों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। प्रदर्शन और विरोध इस बात का संकेत हैं कि जनता इस नीति से संतुष्ट नहीं है और वे ट्रंप के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह संघर्ष यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप के लिए एक नए राष्ट्रपति चुनाव की राह मुश्किल हो सकती है, खासकर जब उनके विरोध में इतनी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर हैं।

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