गुप्तांग पकड़ने पर मजबूर, कुत्ते की तरह पेशाब! कोच्चि की कंपनी में इंसानियत शर्मसार!
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कोच्चि की हिंदुस्तान पावरलिंक्स कंपनी में कर्मचारियों के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है. वायरल वीडियो ने कंपनी के अंदर की क्रूर सच्चाई उजागर कर दी है.

कर्मचारियों को कुत्तों की तरह रेंगने और पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया. अमानवीय कृत्यों का वीडियो वायरल होने से सनसनी फैल गई है. कम वेतन, अधिक टारगेट और धमकियों का माहौल बना हुआ है, जिसके खिलाफ मानवाधिकार संगठनों और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है.

वायरल वीडियो कलूर जनता रोड स्थित हिंदुस्तान पावरलिंक्स के ऑफिस का है. इसमें कर्मचारियों की गर्दन में पट्टा बांधकर उन्हें कुत्तों की तरह रेंगने और पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है. कुछ को जमीन से सड़े फल उठाकर चाटने को कहा गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे डर के मारे बेहतर प्रदर्शन करें.

कंपनी में शारीरिक शोषण के साथ-साथ मानसिक और यौन उत्पीड़न भी होता है. पुरुष कर्मचारियों को कपड़े उतरवाकर एक-दूसरे के गुप्तांग पकड़ने के लिए मजबूर किया गया. उनसे चबाया हुआ फल थूकने, सिक्के चाटने और फर्श पर पेशाब करने के लिए भी कहा गया. ये सब कंपनी की डिसिप्लिन ट्रेनिंग के नाम पर हो रहा है.

महिला कर्मचारियों को भी अपमानित किया जाता है. उन्हें छोटे कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता है और बॉस के सामने नमस्ते डांस या पंजाबी डांस करने को कहा जाता है. मना करने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है.

हिंदुस्तान पावरलिंक्स में अधिकतर कर्मचारी ₹6,000 से ₹8,000 मासिक वेतन पर काम करते हैं. उनसे दिन भर घर-घर जाकर मार्केटिंग का काम कराया जाता है. टारगेट पूरा न होने पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और अपमानित किया जाता है.

कंपनी में भय का माहौल है. कर्मचारी आवाज उठाने से डरते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी से निकालने या भविष्य बर्बाद करने की धमकी दी जाती है. शोषण को मोटिवेशन और सुधार का नाम दिया जाता है.

पहले भी कंपनी पर शोषण के आरोप लगे थे. कई पूर्व कर्मचारियों ने आपबीती सोशल मीडिया पर साझा की, लेकिन उन्हें लीगल नोटिस भेज दिए गए या चुप करा दिया गया.

वीडियो वायरल होने के बाद मानवाधिकार संगठन सक्रिय हो गए हैं और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वे सरकार से यह भी पूछ रहे हैं कि ऐसी कंपनियों को क्यों खुला छोड़ दिया गया है. शोषण रोकने के लिए कड़े श्रम कानूनों की मांग की जा रही है.

कोच्चि प्रशासन के लिए यह एक गंभीर चुनौती है. अब यह केवल एक कंपनी का मामला नहीं रहा, बल्कि एक चेतावनी है कि अगर कर्मचारी शोषण पर लगाम नहीं लगी, तो यह पूरे कॉर्पोरेट सिस्टम को खा जाएगा.

यह केस भले ही कोच्चि में हुआ हो, लेकिन यह भारत के हजारों कर्मचारियों की कहानी है. शोषण आज भी छोटे-बड़े शहरों में जारी है. समाज, मीडिया और नीति-निर्माताओं को मिलकर इस अन्याय को रोकना होगा. हर कर्मचारी को सम्मान, सुरक्षा और गरिमा के साथ काम करने का अधिकार है, और इसे छीना नहीं जाना चाहिए.

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