नीतीश के मुस्लिम नेताओं में बगावत के सुर: क्या बिहार चुनाव में होगा उलटफेर?
News Image

लोकसभा के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो गया है। अब यह विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद इसकी राजपत्र अधिसूचना जारी होगी।

बिहार चुनाव से पहले वक्फ संशोधन विधेयक पर कई मुस्लिम नेताओं ने नाराजगी जताई है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। अब तक जेडीयू के 6 मुस्लिम नेता इस्तीफा दे चुके हैं। माना जा रहा है कि भविष्य में कई और नेता इस्तीफा दे सकते हैं।

सवाल यह है कि मुस्लिम नेताओं की नाराजगी इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू को कितना नुकसान पहुंचा सकती है।

बिहार में मुस्लिम आबादी राज्य की कुल आबादी का लगभग 16.9% है। राज्य की कुल आबादी करीब 104 करोड़ है, यानी करीब 176 करोड़ लोग मुस्लिम समुदाय से आते हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को करीब 5 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि महागठबंधन को 76 प्रतिशत वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी।

माना जा रहा है कि बिहार में वक्फ संशोधन विधेयक का जेडीयू या बीजेपी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। प्रशांत किशोर की जन सोराज पार्टी भी इस विधेयक का विरोध कर मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने की तैयारी में है। यदि ऐसा हुआ तो महागठबंधन के मूल मतदाता ध्रुवीकृत हो सकते हैं।

यह भी कहा जा रहा है कि जेडीयू 83 फीसदी वोट बैंक के लिए अपना करीब 17 फीसदी वोट बैंक छोड़ने को तैयार है। बिहार की राजनीति में जाति भी हावी रही है। ऐसे में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के पास बिहार की राजनीति के लिए कई उपाय हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा का कहना है कि अल्पसंख्यक नेता जेडीयू और नीतीश कुमार से नाराज हैं। उन्हें उम्मीद थी कि नीतीश मुसलमानों के पक्ष में रुख अपनाएंगे। मुसलमानों ने वक्फ संशोधन विधेयक के संबंध में 14 सुझाव दिए, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में केवल 3 बदलाव किए गए।

अमिताभ के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुसलमानों को मैदान में उतारा था, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालाँकि, कई सीटों पर अंतर कम था। ऐसे में नीतीश को शायद इस बार मुसलमानों से कम उम्मीदें होंगी।

हालांकि, ऐसा नहीं है कि नीतीश सरकार ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया है। सरकार ने कब्रिस्तान और ईदगाह की जमीन के लिए भी काफी काम किया। विधान परिषद में जेडीयू के 2 एमएलसी हैं।

नीतीश कुमार जानते हैं कि मुस्लिम वोट उनकी पार्टी को नहीं मिलेंगे। ऐसे में इसे दबाव की राजनीति की बजाय एक सोची-समझी रणनीति कहा जा सकता है। नीतीश कुमार जानते हैं कि अगर मुस्लिम मतदाता उनसे दूर चले भी गए तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 में से 125 सीटें जीती थीं। आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी। भाजपा ने 74 सीटें जीतीं, जबकि जेडीयू ने 43 सीटों पर कब्जा जमाया। कांग्रेस ने 19 सीटें जीतीं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 5 सीटें जीतीं।

जन सूरज पार्टी के आने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो जाएगा, वहीं नीतीश के लिए मुसलमान महत्वपूर्ण तो हो सकते हैं, लेकिन मजबूरी नहीं।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

बल्लेबाज क्रीज पर, बॉलर ने फेंकी गेंद, अचानक बुझ गई बत्ती!

Story 1

कोलंबो में पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर, भव्य स्वागत!

Story 1

तिलक वर्मा बने IPL इतिहास में रिटायर्ड आउट होने वाले चौथे खिलाड़ी! जानिए कौन हैं इस लिस्ट में शामिल

Story 1

गली में इश्क: लड़के ने लड़की को गोद में उठाया, ऊपर से आई आवाज़ और फिर...

Story 1

मेगा बॉक्स ऑफिस क्लैश: ऋतिक के फैंस बेफिक्र, वॉर 2 को बता रहे ब्लॉकबस्टर

Story 1

तिलक वर्मा क्यों हुए रिटायर आउट ? मुंबई इंडियंस के कोच ने बताई असली वजह

Story 1

पापुआ न्यू गिनी के बाद नेपाल और लद्दाख में भूचाल, धरती कांपी!

Story 1

आगरा फोर्ट स्टेशन पर ज़हरीला पानी! टंकी में मिले मरे हुए पक्षी और छिपकलियां

Story 1

तेलंगाना वन कटाई: दिल्ली में भाजपा का हल्ला बोल, राहुल गांधी निशाने पर

Story 1

तिलक वर्मा का विवादास्पद रिटायर्ड आउट : क्या यह सही फैसला था?