वक्फ बिल पर वारिस पठान का बड़ा बयान: समर्थन किया तो नीतीश, चिराग को मुसलमान कभी माफ़ नहीं करेंगे
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मुंबई: AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे बीजेपी की एक पूर्व नियोजित साजिश बताया है, जिसके तहत वे मुसलमानों की जमीन हड़पना चाहते हैं।

पठान ने कहा कि संविधान ने हर नागरिक को यह अधिकार दिया है कि यदि सरकार कोई काला कानून लाती है तो उसका विरोध किया जाए।

संसद में वक्फ संशोधन बिल लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे भी सुन रहे हैं कि ईद के बाद यह विधेयक संसद में लाया जा सकता है। हालांकि, लोकसभा में इसे पारित करना मुश्किल होगा क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत नहीं है।

पठान ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि बीजेपी को यह विधेयक पारित कराना है तो उसे चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जयंत चौधरी का समर्थन लेना होगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अगर इन नेताओं ने इस बिल का समर्थन किया तो भारत के मुसलमान उन्हें कभी माफ़ नहीं करेंगे।

AIMIM नेता ने वक्फ संशोधन बिल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि मुस्लिम वक्फ बोर्ड में किसी गैर-मुस्लिम को कैसे शामिल किया जा सकता है। पठान ने एसडीएम और कलेक्टर को वक्फ की ज़मीनों पर अधिकार देने का भी विरोध किया, क्योंकि वे सरकारी कर्मचारी हैं और सरकार के प्रभाव में काम कर सकते हैं।

पठान ने आरोप लगाया कि इस बिल के तहत मुसलमानों की जमीन को हड़पने की नियत है। उन्होंने कहा कि वक्फ को बचाने का सरकार का दावा झूठा है और उनकी नियत में खोट है।

पठान ने आगे कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जब लोगों से इस बिल पर आपत्तियां आमंत्रित कीं, तो करोड़ों लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने सवाल किया कि जब देश के तमाम मुसलमानों ने इस बिल को खारिज कर दिया है तो सरकार इसे क्यों लाना चाहती है? उन्होंने यह भी कहा कि जेपीसी में असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दिए गए असहमति पत्रों के कई महत्वपूर्ण बिंदु गायब कर दिए गए थे।

पठान ने दोहराया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पूरे देश में इस बिल का विरोध करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इस बिल के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और वे भी इस विरोध का हिस्सा हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस काले कानून को तत्काल वापस ले। यदि यह बिल लाया जाता है, तो वे संवैधानिक तरीके से इसका विरोध करेंगे और कानून के दायरे में रहकर अपनी बात रखेंगे।

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