क्या है घिबली आर्ट, और क्यों उठ रहे हैं AI से कॉपीराइट पर खतरे के सवाल?
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सोशल मीडिया पर आजकल हर जगह घिबली आर्ट छाई हुई है। लोग एआई का इस्तेमाल करके अपनी और सेलिब्रिटीज की कार्टून जैसी तस्वीरें बना रहे हैं। लेकिन, इस ट्रेंड के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की पहुंच और इसके खतरों पर भी बहस शुरू हो गई है।

जापान की कॉमिक बुक्स और कार्टून शो के लिए मशहूर घिबली आर्ट को बनाने में पहले महीनों लगते थे, लेकिन अब एआई उसे कुछ ही सेकंड में बना रहा है।

घिबली स्टाइल की तस्वीरें इतनी पसंद क्यों आ रही हैं?

घिबली की तस्वीरों की खासियत है कि वे हाथ से बनाई जाती हैं, जिनमें हल्के रंगों का इस्तेमाल होता है। इनकी सादगी और शांति लोगों को आकर्षित करती है, जिसकी वजह से यह स्टूडियो कुछ ही सालों में करोड़ों लोगों का पसंदीदा बन गया है।

चैटजीपीटी ने कैसे बनाया इसे वायरल ट्रेंड?

चैटजीपीटी ने हाल ही में अपना बिल्ट-इन इमेज जनरेशन फीचर शुरू किया है। ओपनएआई के जीपीटी-4o टूल ने चैटबॉट को घिबली स्टाइल की तस्वीरें बनाने की क्षमता दी। एआई ऐसी तस्वीरें बना रहा है जो जापानी एनिमेटर हयाओ मियाजाकी की हाथ से बनी कला जैसी लगती हैं।

प्रोफाइल फोटो से लेकर बॉलीवुड फिल्में, सब कुछ घिबली में बदल गया

घिबली आर्ट लोगों को इतना पसंद आ रहा है कि सोशल मीडिया पर बॉलीवुड फिल्मों, सेलिब्रिटीज, प्रोफाइल पिक्चर्स और निजी यादों की तस्वीरों को भी घिबली अंदाज में बदला जा रहा है। 2024 के पेरिस ओलंपिक से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलन मस्क तक के घिबली स्वरूप सामने आ चुके हैं।

चैटजीपीटी पर घिबली बनाने की होड़

शुरुआत में यह फीचर चैटजीपीटी के प्रीमियम वर्जन में ही उपलब्ध था, लेकिन बाद में यह फ्री वर्जन में भी काम करने लगा। इसके बाद यूजर्स में तस्वीरों को घिबली में बदलने की होड़ मच गई। इस ट्रेंड के बढ़ने से चैटजीपीटी के जीपीयू पर दबाव बढ़ गया, जिसके चलते प्लेटफॉर्म क्रैश भी हो गया।

घिबली वायरल हुई, तो कॉपीराइट का मसला क्या है?

घिबली तस्वीरों के वायरल होने के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है। सबसे बड़ा विवाद एआई की पहुंच को लेकर है, क्योंकि यह कलाकारों के काम को बिना श्रेय और आर्थिक मुआवजा दिए कॉपी कर रहा है।

कुछ यूजर्स को चैटजीपीटी ने यह संदेश दिया कि वह कॉपीराइट के अंतर्गत आने वाले एनिमेशन स्टूडियो की तरह की तस्वीरें नहीं बना सकता। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ओपनएआई जो कर रहा है, वह कानूनी तौर पर पूरी तरह सही भी नहीं है और पूरी तरह गलत भी नहीं है।

अमेरिका की लॉ फर्म नील एंड मैक्डेविट के वकील इवान ब्राउन के मुताबिक, घिबली आर्ट स्टाइल को कॉपीराइट कानून के तहत सुरक्षित नहीं किया गया है, सिर्फ कैरेक्टर्स और कहानियां सुरक्षित हो सकती हैं।

आर्टिस्ट कार्ला ओर्टिज का कहना है कि ओपनएआई जैसी कंपनियां अब कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की चिंता नहीं करती हैं। वह ओपनएआई पर घिबली के नाम और ब्रांड का इस्तेमाल अपने मॉडल को आगे बढ़ाने का आरोप लगा रही हैं, जो कि कॉपीराइट का उल्लंघन है।

एआई के घिबली बनाने पर क्या सोचते हैं इसके संस्थापक?

हयाओ मियाजाकी ने पहले एआई जनरेटेड तस्वीरों की कड़ी आलोचना की थी और इसे जीवन का अपमान बताया था। उनका मानना है कि कला का असली सार तभी झलकता है जब इंसान अपने अनुभवों, दर्द, खुशी और संवेदनाओं को चित्रों और कहानियों में उतारता है।

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