भूकंप के बाद म्यांमार: मांडले बना कब्रिस्तान, सड़ती लाशें और बढ़ती महामारी का डर
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मांडले: म्यांमार में विनाशकारी भूकंप के तीन दिन बाद, मलबे में दबी लाशों की दुर्गंध शहर को तबाह कर रही है. रेस्क्यू टीमों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि आसपास महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है.

जैसे-जैसे समय बीत रहा है, मलबे में दबे लोगों के जीवित मिलने की संभावना कम होती जा रही है. भारत समेत कई देशों की टीमें बचाव कार्य और घायलों के इलाज के लिए पहुंच चुकी हैं, लेकिन मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर कब्रिस्तान में तब्दील हो रहा है.

मांडले में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने शहर को तहस-नहस कर दिया है. सड़कें कब्रिस्तान बन गई हैं, और चिलचिलाती धूप में सड़ती लाशें पूरे शहर में तबाही मचा रही हैं. जीवित बचे लोग अपने प्रियजनों की खोज कर रहे हैं, और चारों तरफ तबाही का मंजर है. इस शक्तिशाली भूकंप ने 1,600 से अधिक लोगों की जान ले ली है, और कई अभी भी लापता हैं.

हम मलबे के नीचे चीखें सुनते हैं, लेकिन हम समय पर उन तक नहीं पहुँच सकते, शहर में बचाव कार्य में लगे एक स्वयंसेवक ने रोते हुए कहा. घंटों खुदाई करने से उसके हाथ जख्मी हो गए थे और खून बह रहा था. भूकंप, जिसका केंद्र मांडले के आसपास था, ने पूरे शहर को बर्बाद कर दिया है, राजमार्गों को तोड़ दिया है, और नेपीताव के हवाई अड्डे पर नियंत्रण टॉवर को ध्वस्त कर दिया है. पहले से ही गृहयुद्ध से कमजोर पड़ा यह देश अब बर्बाद होने के कगार पर है.

स्थानीय लोग बिना भारी उपकरणों की मदद के और 41 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में हाथों और फावड़ों से मलबा हटाने को मजबूर हैं. भूकंप में 1,650 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि 3,400 से अधिक घायल हो गए हैं. अनगिनत लोग अभी भी लापता हैं, ढही इमारतों के मलबे में दबे हुए हैं.

रविवार दोपहर को आए 5.1 तीव्रता के झटकों के बाद सड़कों पर मौजूद लोगों में एक बार फिर चीख-पुकार मच गई. हालांकि, थोड़ी देर बाद राहत कार्य फिर से शुरू हो गया है. मांडले में 15 लाख लोगों में से कई ने रात सड़कों पर बिताई है, क्योंकि बहुत से लोग भूकंप के कारण बेघर हो गए हैं.

भूकंप ने पड़ोसी देश थाईलैंड को भी हिलाकर रख दिया, जहां कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई. मांडले के स्थानीय लोगों को इस बात की चिंता है कि लगातार आने वाले झटकों के कारण अस्थिर इमारतें ढह सकती हैं.

म्यांमा में कैथोलिक रिलीफ सर्विसेज की यांगून इकाई के प्रबंधक कैरा ब्रैग ने बताया कि अब तक म्यांमा में 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,408 लोग घायल हुए हैं. उन्होंने बताया कि कई क्षेत्रों में अब तक बचाव कार्य नहीं हो पाया है और कई इलाकों में लोग हाथों से मलबा हटाने में लगे हैं.

भारत समेत कई देशों ने म्यांमार को सहायता भेजनी शुरू कर दी है. दो भारतीय सी-17 सैन्य परिवहन विमान शनिवार देर रात नेपीताव में उतरे, जिसमें सेना का एक चिकित्सा दल और कुछ 120 कर्मी सवार थे. ये भारतीय दल 60 बिस्तरों वाला आपातकालीन उपचार केंद्र बनाने के लिए उत्तर मांडले पहुंचेंगे. भारत की ओर से अन्य सहायता यांगून भी पहुंच गयी है, जो अन्य देशों द्वारा भेजी जा रही सहायता का केंद्र है. भारत ने म्यांमार में भूकंप प्रभावितों की मदद के लिए ऑपरेशन ब्रह्मा चलाया है. भारत के अलावा चीन, रूस, थाईलैंड, सिंगापुर और संयुक्त राष्ट्र ने भी म्यांमार के लिए राहत सामग्री व बचाव कर्मी भेजे हैं.

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