कन्हैया कुमार, जो पहले कम्युनिस्ट नेता थे और अब कांग्रेसी बन गए हैं, ने हाल ही में बिहार को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि बिहार में भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़कें राज्य का पानी लूटने के लिए बनाई जा रही हैं।
कन्हैया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार में पहले उद्योग क्यों नहीं आए और अब छोटे निवेश आ रहे हैं। उन्होंने सड़कों की जरूरत पर सवाल उठाते हुए इसे एक साजिश करार दिया। उनका कहना है कि बिहार में भारतमाला परियोजना में बड़ी-बड़ी सड़कें बन रही हैं ताकि बिहार का पानी लूट कर ले जाया जा सके।
कन्हैया कुमार के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है, क्योंकि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है। जल शक्ति मंत्रालय की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में अभी 44% भूजल का दोहन हो चुका है, जबकि गुजरात में यह स्तर 51% तक है। ऐसे में बिहार के पानी पर किसी की नजर होने का सवाल ही नहीं उठता।
कन्हैया कुमार का यह बयान वामपंथी विचारधारा का प्रतीक है, जो विकास को हमेशा नकारात्मक रूप से देखते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि किसी भी जगह उद्योग-धंधे लगने के लिए सड़क, बिजली, स्थायी नीतियां और कानून व्यवस्था का ठीक होना जरूरी है। सबसे पहली शर्त सड़क है, जिसके बिना फैक्ट्री लगाने वाले फैक्ट्री तक नहीं पहुंच सकते और बने हुए माल को बाजार तक नहीं पहुंचा सकते।
कन्हैया को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि 1950-2005 तक बिहार में किसकी सरकार थी, जब उद्योग-धंधे नहीं लग पाए। उस दौरान कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव का शासन था, जिन्होंने बिहार में उद्योगों की दुर्दशा की। कांग्रेस ने ही भाड़ा सामान्यीकरण कानून लागू किया, जिसके चलते बिहार के उद्योग-धंधे दक्षिण के राज्यों में चले गए।
प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली एक कमिटी की रिपोर्ट बताती है कि बिहार का देश की जीडीपी में हिस्सा 1960-61 में 7.8% हुआ करता था, जो आज 2.8% पर खड़ा है। कन्हैया को कांग्रेस से सवाल पूछना चाहिए कि आखिर यह नीति क्यों लाई गई थी और क्यों उद्योग-धंधे तबाह किए गए।
यह सच है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने बिहार में उद्योग-धंधे लाने में कोई खास सफलता नहीं हासिल की है। लेकिन यह भी सच है कि बिहार को जंगलराज ने उस गर्त में धकेल दिया था कि सड़क-पानी जैसी आधारभूत सुविधाएं भी लोगों को मयस्सर नहीं थीं।
कन्हैया की असल समस्या सड़क, उद्योग और पानी नहीं है, बल्कि उनका खुदका विकास नहीं हो रहा है। कन्हैया को बार-बार बिहार ने नकारा है, क्योंकि जेएनयू में ढपली बजाना एक बात है, और चुनावी रण में उतर कर जीतना अलग बात। अच्छा होगा कि अपने राज्य के भले के लिए कन्हैया विकास के और प्रोजेक्ट मांगे, न कि जो आ रहा है उसका भी विरोध करें।
Bihar me Bharat mala project me badi-badi sadkein ban rahi taaki Bihar ka paani loot kar le jaye
— BALA (@erbmjha) March 25, 2025
His idiotic, nonsensical talk is the proof that he has a PhD from JNU. pic.twitter.com/rikbIMNtwl
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