दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े दस्तावेज, पत्राचार, तस्वीरें और वीडियो भी सार्वजनिक किए हैं।
यह घटना 14 मार्च 2025 को घटी, लेकिन 20 मार्च को मीडिया में खबरें सामने आईं। जस्टिस वर्मा के आवास के पास जला हुआ मलबा देखा गया है, जिसके वीडियो भी सामने आए हैं। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है।
पहले सुप्रीम कोर्ट और फायर विभाग ने इन खबरों को अफवाह बताया था। लेकिन बाद में जब पुलिस और मीडिया रिपोर्टों में नकदी मिलने की बात दोहराई जाने लगी, तो कोर्ट ने आधिकारिक बयान जारी कर मामले की जांच शुरू कर दी। दिल्ली फायर चीफ अतुल गर्ग ने मीडिया पर नकदी बरामदगी की खबर को झूठा बताने का आरोप भी लगाया।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस शील नागु की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। यह कमेटी जांच कर अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सौंपेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि जांच पूरी होने तक जस्टिस वर्मा को किसी भी न्यायिक कार्य से अलग कर दिया गया है। पहले उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की योजना थी, लेकिन आलोचनाओं के बाद उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि वे जस्टिस वर्मा को कोई भी कार्य न सौंपें।
जस्टिस वर्मा को लेकर अब लोगों के मन में 5 बड़े सवाल उठ रहे हैं:
20 मार्च को CJI खन्ना को इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज, फोटो और वीडियो सौंपे गए। 21 मार्च को CJI ने जस्टिस वर्मा से इस मामले पर औपचारिक जवाब मांगा: उनके बंगले के स्टोररूम में नकदी कैसे आई? इस नकदी का स्रोत क्या है? 15 मार्च की सुबह स्टोररूम से नकदी किसने हटाई? CJI ने निर्देश दिया कि जस्टिस वर्मा अपना मोबाइल फोन सुरक्षित रखें और किसी भी डेटा, कॉल या मैसेज को न हटाएं। उनके फोन नंबरों के पिछले छह महीने के कॉल रिकॉर्ड भी मांगे गए।
14 मार्च 2025 की रात को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक बंगले के स्टोररूम में आग लग गई थी। उनके निजी सचिव ने पुलिस को आग लगने की सूचना दी। दमकल विभाग की दो गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं। शुरुआती जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया, लेकिन जब वहां जली हुई भारतीय मुद्रा के अवशेष मिले, तो मामला संदिग्ध हो गया।
15 मार्च को दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को घटना की जानकारी दी। जब मुख्य न्यायाधीश को जली हुई नकदी की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत CJI खन्ना को सूचित किया। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि पूरा कमरा काला पड़ चुका था। पुलिस द्वारा बताई गई जली हुई नकदी वहां मौजूद नहीं थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के बाद किसी ने उस नकदी को हटा दिया था।
जस्टिस वर्मा ने इस मामले में किसी भी नकदी की मौजूदगी से साफ इनकार किया है। उन्होंने बताया कि घटना के समय वे अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में थे और 15 मार्च की शाम दिल्ली लौटे। उन्होंने इसे साजिश करार दिया।
22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाने की घोषणा कर दी। जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में सभी आरोपों से इनकार किया। अब सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी इस मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी।
#WATCH | Delhi: Burnt debris seen near the residence of Delhi High Court judge Justice Yashwant Varma. pic.twitter.com/iwpMIcJYi8
— ANI (@ANI) March 23, 2025
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