बेंगलुरु: कर्नाटक में हनी ट्रैप मामले को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। विपक्षी दल इस कथित घोटाले की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा इसकी जांच कराई जाए।
शुक्रवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों ने सदन के वेल में आकर विरोध प्रदर्शन किया और कागज फाड़े।
विधायकों के निलंबन को लेकर विवाद शुक्रवार को उस समय और बढ़ गया जब 18 बीजेपी विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। यह विधेयक कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल द्वारा पेश किया गया था। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और इसे सरकार द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाने की कोशिश बताया।
कर्नाटक में हनी ट्रैप से जुड़ा यह विवाद तब गहराया जब सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में खुलासा किया कि उन्हें भी हनी ट्रैप का शिकार बनाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस जाल में केवल राज्य के मंत्री ही नहीं, बल्कि लगभग 48 अन्य नेता, विधायक और कुछ केंद्रीय नेता भी फंस चुके हैं।
बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने 20 मार्च 2025 को विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और आरोप लगाया कि राज्य में हनी ट्रैप की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसके बाद सहकारिता मंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिससे कई राजनेता प्रभावित हुए हैं।
राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी इस मामले पर टिप्पणी की और कहा कि एक मंत्री को दो बार हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों बार यह प्रयास विफल रहा। उन्होंने कहा कि यह कोई नई समस्या नहीं है और पिछले 20 वर्षों से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जारकीहोली ने सुझाव दिया कि संबंधित मंत्री को पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि इसके पीछे के लोगों का खुलासा हो सके।
यह मामला अब तूल पकड़ चुका है और विपक्ष लगातार न्यायिक जांच की मांग कर रहा है। वहीं, सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब यह देखना होगा कि इस विवाद का राजनीतिक भविष्य क्या होगा और क्या सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने को तैयार होगी।
#WATCH | बेंगलुरु: कर्नाटक के 18 भाजपा विधायकों को निलंबित किए जाने के बाद विधानसभा से बाहर ले जाया गया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 21, 2025
सदन ने विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए छह महीने के लिए उनके निलंबन का विधेयक पारित किया। विधेयक को कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने पेश… pic.twitter.com/E5Q5TAe52S
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