देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस तीनों ही पार्टियाँ वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए मुफ्त सुविधाओं का वादा कर रही हैं। दिल्ली में 5 फ़रवरी को विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग होनी है।
चुनावी वादे: कितना बड़ा आर्थिक बोझ?
भारत में चुनावी वादों में कल्याणकारी योजनाओं का बोलबाला है। सरकारें जनता को मुफ्त राशन, बिजली, पानी जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराती हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के पूर्व प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार का कहना है कि इस तरह के मुफ्त की सुविधाओं से गरीबी कम होने की बजाय बढ़ जाती है। उनका कहना है कि सरकार गरीबी को स्वीकार नहीं करना चाहती, इसलिए लोगों को आकर्षित करने के लिए उनके खातों में पैसे डालती है।
आर्थिक मामलों के जानकार शरद कोहली का कहना है कि मुफ्त की योजनाओं का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोग आज के छोटे फायदे के लिए कल का बड़ा नुकसान कर रहे हैं। उनके अनुसार, दिल्ली में मुफ्त योजनाओं की वजह से पहली बार दिल्ली का बजट नुकसान में जा सकता है।
सरकारी बजट और संसाधनों की कमी
चुनावी वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के पास संसाधन और बजट होना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार संजीव पाण्डेय कहते हैं कि पंजाब में आप सरकार को कई समस्याएँ विरासत में मिली हैं। उसके पास दिल्ली की तरह टैक्स से मिलने वाला अपना राजस्व नहीं है। हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद पंजाब से कई उद्योग चले गए। इसके अलावा, वाघा बॉर्डर बंद होने के कारण पंजाब का पाकिस्तान से व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ।
बीजेपी का रुख बदल गया
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में लगातार दो चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है, जिसमें उसकी मुफ्त की योजनाओं का बड़ा योगदान माना जाता है। साल 2013 में पहली बार अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से 49 दिनों तक दिल्ली में सरकार चलाई थी। इस दौरान आप सरकार ने दिल्ली के लोगों के लिए मुफ्त बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं की घोषणा की थी। अब इस तरह की मुफ्त की योजनाओं पर बीजेपी भी चल पड़ी है। कांग्रेस भी दिल्ली में अपनी पुरानी ताकत वापस हासिल करने के लिए मुफ्त की सुविधाओं का ही सहारा ले रही है।
लोकलुभावन वादे
बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का संकल्प - दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने पर नाम से एक दस्तावेज़ जारी किया है। इसमें हर गरीब महिला को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया गया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के मिलने वाला पेंशन 2 हज़ार से बढ़ाकर 2500 करने का वादा किया गया है। बीजेपी ने अन्य वादों के अलावा हर गर्भवती महिला को 21 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद और 6 पोषण किट देने का वादा भी किया है।
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, इलाज, शिक्षा, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, बुज़ुर्गों की मुफ्त तीर्थ यात्रा जैसी योजनाएँ चला रही है। अब आप ने इसे और विस्तार देने का वादा किया है। आर्थिक हालातों को देखते हुए इन योजनाओं को पूरा करने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
ऐसी सरकारी योजनाओं को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है और यह मामला अब भी चल रहा है। वकील अश्विनी उपाध्याय ने मांग की है कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त की योजनाओं को परिभाषित किया जाए। अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक़, जब उन्होंने जनहित याचिका डाली थी तब भारत सरकार पर 150 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ था, जो अब बढ़कर 225 लाख करोड़ हो गया है। जबकि दिल्ली सरकार का कर्ज़ 55 हज़ार से बढ़कर एक लाख करोड़ हो गया है।
बीते साल बीजेपी नेता जीतेन्द्र महाजन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि आम आदमी पार्टी शहर में आधारभूत ढांचों को बेहतर करने में नाकाम रही है। कोर्ट ने कहा था कि सरकार ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की मरम्मत करने की बजाय फ्रीबीज़ देने को प्राथमिकता दे रही है।
हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है।
— BJP (@BJP4India) July 16, 2022
ये कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है।
रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे।
हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है।
- पीएम @narendramodi pic.twitter.com/L40BMcDYvM
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