वीडियो: क्या केजरीवाल और संदीप दीक्षित में है गहरी दोस्ती? कांग्रेस नेता बोले- वो आदमी सीरियस नहीं है
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नई दिल्ली विधानसभा सीट चुनाव 2025: मेरी मां को बदनाम , संदीप दीक्षित ने बताया केजरीवाल के खिलाफ क्यों लड़ रहे है चुनाव

संदीप दीक्षित ने कहा, 2004 में मेरे जीतने से पहले मैं NGO में काम करता था, उस वक्त मुझे मेरी एक सहयोगी ने केजरीवाल के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था कि उसका RTI में बड़ा काम रहता है और वो एक अवॉर्ड विनर हैं, तो मेरे मन में उनके लिए बहुत रिस्पेक्ट आई। तो हमारे मिलने की बात हुई। फिर हम मिले, ये बात 2004 की है या फिर 2005 की बात है, मुझे ठीक से याद नहीं है, उन्होंने मुझसे कहा कि वो देखना चाहते हैं कि एक सांसद की क्या चुनौती होती है, उनका काम कैसे होता? तो मैंने इसके लिए हामी भर दी। वो चार-पांच दिन वहां बैठे, एक दिन वो मुझसे मिलकर अपना फीडबैक दे रहे थे, उन्होंने मुझसे कहा कि संदीप जी....आप कमरे के अंदर क्यों मिलते हैं...खुले में मिला करो...। उन्होंने मुझसे कहा कि आपके सामने पार्क है...आप मैदान में आम जनता से मिलिए। तो मैंने उनसे कहा...अरविंद जी लोग आते हैं...काम कराने, मैं हर दफ्तर में भागकर नहीं जा सकता...या तो मैं फोन करूंगा या पत्र लिखूंगा...। वो ये सब बात समझने के लिए तैयार नहीं थे। मुझे उसी वक्त लगा था कि ये सीरियस आदमी नहीं है।

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संदीप दीक्षित ने आगे कहा, 2009 में चुनाव के वक्त फिर से किसी के जरिए अरविंद जी ने मेरे लिए अलग तरीके से चुनाव प्रचार करने की बात कही। तो मैंने कहा कि आप एक वार्ड ले लीजिए...मेरे अंदर उस वक्त 40 वार्ड थे...मुझे भी डर था कि कही ये कम्पैंन टेकओवर ना कर ले और मेरा कार्यकर्ता नाराज ना हो जाए, उसके बाद इन्होंने मुझे चुनाव प्रचार करने के लिए एक वार्ड का 40 लाख रुपये का बिल भेजा। मुझे उसी वक्त आसमान में सितारे दिखने लगे। उस वक्त मेरा एक चुनाव के लिए बजट एक लाख रुपये से भी कम था।

संदीप दीक्षित बोले- केजरीवाल के साथ कोई बड़ी परेशानी है...

संदीप दीक्षित ने आगे कहा, मैंने ये दो घटनाएं इसलिए आपको बताई हैं...ताकि मैं आपको समझा सकूं कि उन्हें बस वही नंबर समझ आते हैं...तजो उनको सूट करते हैं। इसलिए मुझे हमेशा लगा है कि उनके साथ कोई बड़ी परेशानी है। वो दिमाग को दो हिस्सों में बांटकर काम करते हैं। मैं ये पहली बार कह रहा हूं कि दो कैटेगरी के लोग होते हैं, कुछ लोग किसी न किसी वक्त अनैतिक (immoral) होते हैं, लेकिन एक कैटेगरी amoral (नीतिहीन) की होती है, जो खतरनाक होते हैं। इसमें क्या होता है कि जब अपने पर बनती है तो आप उसमें नैतिकता (morality) का ध्यान नहीं रखते हैं। उस वक्त आप सच-झूठ और गलत-सही का अंतर नहीं समझ पाते हैं।

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संदीप दीक्षित ने कहा, देखिए, चुनावी लड़ाई की बात करे तो चुनौती है, मैं तीन चुनाव लड़ चुका हूं....ये मेरा चौथा चुनाव है। ये अब तक की सबसे दिलचस्प लड़ाई होगी। देखिए मजबूत तो सारे उम्मीदवार हैं, अगर आप पूर्व सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो बड़ी चुनौती तो है। आप सब जानते हैं कि कांग्रेस की हालत उतनी अच्छी नहीं है। पार्टी का अपने वोट को लेकर जो चैलेंज है, वो तो चैलेंज है।

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