वायरस का इतिहास: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, HMPV वायरस को पहली बार 2001 में पहचाना गया था। यह तब से मानव आबादी में मौजूद रहा है, आमतौर पर सर्दी और वसंत ऋतु में फैलता है। यह कोविड-19 से अलग है।
भारत में स्थिति: हाल ही में कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में HMPV के पांच मामले सामने आने के बाद, केंद्र ने राज्यों को जागरूकता फैलाने और निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है।
वायरस के लक्षण: HMPV सांस संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है, जिसमें निम्न शामिल हैं:
रोकथाम और उपचार: HMPV के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों का उपचार किया जा सकता है। रोकथाम के उपायों में शामिल हैं:
चिंता की कोई आवश्यकता नहीं: केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने लोगों से घबराने से इनकार करने का आग्रह किया है क्योंकि यह वायरस 2001 से विश्व स्तर पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि देश सर्दियों के महीनों में सांस संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि से निपटने के लिए तैयार है।
Human metapneumovirus #hMPV is NOT a new virus.
— United Nations Geneva (@UNGeneva) January 7, 2025
First identified in 2001, it has been in the human population for a long time. It is a common virus that circulates in winter and spring. It usually causes respiratory symptoms similar to the common cold.
- @who pic.twitter.com/zojxwNLgH8
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