रात में कैसे बढ़ता वोटिंग प्रतिशत? चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी को दिया जवाब
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन पर घपला करने का आरोप लगाया था। दावा किया था कि 50 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में वोटर जोड़े गए ताकि बीजेपी को फायदा पहुंचाया जा सके। रात में अचानक वोटिंग प्रतिशत बढ़ा दिया गया। ये भी दावा किया कि जिन इलाकों में वोटर बढ़े, उनमें से ज्यादा सीटों पर बीजेपी जीती। अब मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी के हर एक सवाल का जवाब दिया है। बताया कि वोटिंग के दिन कैसे मत प्रतिशत जोड़ा जाता है। कैसे रात में बढ़ जाता है? शायराना अंदाज में उन्होंने कहा, शक का इलाज हकीम के पास भी नहीं होता।

EVM में छेड़छाड़ के आरोप निराधार

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, EVM से छेड़छाड़ के सभी आरोप निराधार हैं। EVM मतगणना के लिए पूर्णतया सुरक्षित हैं। हम अब इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चुनाव के समय हम इस बारे में बात नहीं करते। EVM में लगा VVPAT यह सुनिश्चित करता है कि जिसे वोट दिया गया है, उसे ही मिल रहा हो। यह बिल्कुल सही है और इसे कोई भी चेक कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 42 बार कहा है कि इवीएम को हैक नहीं किया जा सकता। पोलिंग अधिकारी EVM सील करते हैं, तब सब पार्टी के एजेंट होते हैं। ऐसे में किन्हीं गलती होने की संभावना असंभव है।

कैसे जुटाया जाता है आंकड़ा?

इसके बाद चुनाव आयुक्त ने वोटिंग प्रतिशत इकट्ठा करने का तरीका बताया। राजीव कुमार ने कहा, मतदान के दिन सुबह 11:30 बजे, 01:30 बजे , 03:30 बजे और 05:30 बजे सेक्टर मजिस्ट्रेट सभी पोलिंग बूथ पर जाते हैं। वहां से ट्रेंड कलेक्ट करते हैं। अगर 10.5 लाख बूथ से बिना किसी कनेक्शन डाटा इकट्ठा किया जाता है। ऐसे में 6 बजे मतदान मतदान का फाइनल आंकड़ा कैसे आ सकता है? अगर हम इसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से कनेक्ट करके इकट्ठा करेंगे, तो आप कहेंगे, EVM हैक हो गया।

5 से 7 बजे के बीच क्या होता है?

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि 5 से 7 बजे के बीच क्या होता है। प्रिसाइडिंग ऑफिसर अंदर पहुंच चुके वोटर्स को एक टोकन देते हैं। सबको भरोसा दिलाते हैं कि आपका वोट जरूर दर्ज होगा। वोटिंग खत्म होने के बाद मशीन को सील करते हैं। बैटरी को सील करते हैं। तमाम फॉर्म बनाते हैं, इनमें से 17C महत्वपूर्ण है। सारा फॉर्म हाथ से लिखा जाता है। फिर इसे एजेंट के हाथ में देते हैं। सोचिए 10.5 लाख बूथ पर अगर चार एजेंट भी हों तो 42 लाख फॉर्म 17C बनाने पड़ते हैं। महाराष्ट्र में एक लाख बूथ थे। यानी वहां भी 4 लाख से ज्यादा 17C फॉर्म भरने पड़े थे। ये सारा भरने के बाद ही पोलिंग ऑफिसर वहां से निकलते हैं। आप सोचिए कैसे संभव है। 7 बजे तक वोटिंग हो रही है और तुरंत एग्जेक्ट डाटा आ जाए। असंभव सी बातें हैं।

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