लोकसभा में आया एक देश एक कानून बिल, क्यों बेचैन है विपक्ष?
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वन नेशनल-वन इलेक्शन बिल पर दो बार वोटिंग हुई

लोकसभा में मंगलवार को वन नेशनल-वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव कराने से संबंधित बिल पेश किया गया। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने बिल पेश किया, जिस पर लोकसभा में दो बार वोटिंग हुई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग और फिर कागज की पर्चियों की गिनती के बाद, 269 सदस्यों ने बिल के पक्ष में और 198 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया।

विपक्ष का विरोध

बिल पेश होने से पहले से ही विपक्षी पार्टियों (कांग्रेस, टीएमसी आदि) ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। विपक्षी पार्टियां इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए कई दलीलें दे रही हैं।

पीएम मोदी जेपीसी पर विचार को तैयार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कैबिनेट में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने इस बिल को जेपीसी के पास भेजने की बात कही थी। शाह ने कहा, अगर कानून मंत्री इस बिल को जेपीसी के पास भेजने के लिए तैयार हैं, तो इसे पेश करने पर चर्चा खत्म हो सकती है।

लोकतंत्र और जवाबदेही को खत्म करने वाला बिल?

कांग्रेस सांसद जय राम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करेगी। उन्होंने कहा, यह बिल लोकतंत्र और जवाबदेही को खत्म करने का मकसद रखता है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल बुनियादी ढांचे पर हमला है और इस सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

चुनाव आयोग को मिलेगी असीमित शक्ति?

कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि ये दोनों विधेयक संविधान और नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर हमले हैं। उनका कहना था कि चुनाव आयोग को असंवैधानिक शक्ति मिलेगी।

समाजवादी पार्टी की दलील

सपा के धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह संविधान की मूल भावना को खत्म करने की कोशिश है और तानाशाही की तरफ ले जाने वाला कदम है।

विधानसभाएं केंद्र के अधीन नहीं

टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाएं केंद्र और संसद के अधीनस्थ नहीं होती हैं।

शिवसेना और आईयूएमएल का तर्क

शिवसेना के अनिल देसाई ने कहा कि यह बिल संघवाद पर सीधा हमला है। आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि यह लोकतंत्र, संविधान और संघवाद पर हमले की कोशिश है।

डीएमके ने जेपीसी को भेजने की मांग की

डीएमके नेता टीआर बालू ने सरकार से आग्रह किया कि इस बिल को जेपीसी के पास भेजा जाए और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इसे सदन में लाया जाए।

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