पीएम मोदी ने राज्यों से की अपील, स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में तेजी लाने का किया आह्वान
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सरलीकरण और नागरिक-केंद्रित शासन पर जोर

रविवार को राज्यों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक वातावरण बनाने की आवश्यकता है जहां स्टार्ट-अप्स आसानी से फल-फूल सकें। उन्होंने सरकारी नियमों को सरल बनाने पर जोर दिया जो आम नागरिकों के लिए बाधक साबित होते हैं। नागरिकों की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के लिए शासन के तरीकों में सुधार की वकालत करते हुए, मोदी ने प्रदर्शन और परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने की महत्ता को रेखांकित किया।

स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनौतियाँ और लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने मोटापे को देश के लिए एक प्रमुख चुनौती के रूप में पहचाना और इस पर गंभीरता से ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने एक फिट और स्वस्थ भारत के महत्व पर जोर दिया, यह मानते हुए कि यह एक विकसित भारत का निर्माण करने का आधार है। भारत को 2025 तक तपेदिक (टीबी) मुक्त बनाने के लक्ष्य पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को रेखांकित किया।

पांडुलिपियों का संरक्षण और स्टार्ट-अप्स का विकास

मोदी ने भारत की प्राचीन पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए राज्यों से उन्हें डिजिटाइज़ करने और संरक्षित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह किया। सम्मेलन का एक प्रमुख फोकस उद्यमिता, रोजगार और कौशल विकास था। मोदी ने राज्यों को छोटे और मध्यम शहरों में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे स्थानों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां उद्यमी बैंकिंग, लॉजिस्टिक्स और अन्य आवश्यक सेवाओं तक पहुंच सकें।

ई-कचरा प्रबंधन, शहरी विकास और नवाचार

ई-कचरे के पुनर्चक्रण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने डिजिटल समाज के विस्तार के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौती को उजागर किया। उन्होंने शहरी आर्थिक विकास को केंद्र में रखकर मानव संसाधन विकास पर ध्यान देने के महत्व पर जोर दिया। मोदी ने शहरी शासन, जल प्रबंधन और पर्यावरण में विशेषज्ञता वाले संस्थानों की स्थापना की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने शहरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति के जवाब में किफायती शहरी आवास पर विचार करने का आह्वान किया।

सम्मेलन के उद्देश्य और निष्कर्ष

मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत दृष्टिकोण को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। सम्मेलन ने उद्यमिता, कौशल और रोजगार सृजन के माध्यम से भारत को एक मध्यम आय वाले देश से एक उच्च आय वाले देश में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता को भी उजागर किया। सम्मेलन इस बात का संकेत है कि भारत को अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास और नवाचार की जरूरत है।

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