प्रधानमंत्री का संसद भाषण हुआ खारिज
लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 2 घंटे का भाषण दिया। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने इसे बेहद उबाऊ भाषण बताया है।
प्रियंका गांधी बोलीं- प्रधानमंत्री उबाऊ, संकल्प खोखले
कांग्रेस महासचिव और वायनाड से लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, यदि भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री की बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति है तो अडाणी के मामले पर चर्चा करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानममंत्री का भाषण उबाऊ था। उन्होंने कहा, दशकों बाद ऐसा लगा कि गणित के डबल पीरियड में बैठे हैं। नड्डा जी हाथ मल रहे थे और जब मोदी जी ने उनकी ओर देखा तो वह अचानक ऐक्टिंग करने लग गए कि मैं सुन रहा हूं। अमित शाह जी भी अपना सिर छू रहे थे। पीयूष गोयल जी लग रहे थे कि सोने वाले हैं।
अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री के संकल्पों को बताया जुमले
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री के भाषण और संकल्पों को जुमलों का नाम दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हर संकल्प हर वादे सिर्फ और जुमले हैं। उन्होंने कहा कि 15 लाख रुपए के वादे से लेकर हर साल एक करोड़ नौकरियां देने तक और बाकी वादे सिर्फ जुमले ही साबित हुए हैं।
सौगत रॉय ने कहा- प्रधानमंत्री ने विपक्ष की आलोचनाओं का जवाब नहीं दिया
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने भी प्रधानमंत्री के भाषण पर प्रतिक्रिया में कहा कि वे सिर्फ अपनी ही बात बोलते रहे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आक्रामक मुद्रा में तो थे लेकिन उन्होंने न तो विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचनाओं का जवाब दिया और न ही महिलाओं पर अत्याचार या दंगों की बात की।
इकरा हसन ने कहा- प्रधानमंत्री आम मुद्दों से किनारा करते हैं
समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने भी प्रधानमंत्री के भाणण पर प्रतिक्रिया में कहा कि उन्होंने दावे तो बहुत से किए लेकिन अपनी उपलब्धियां नहीं गिना पाए। उन्होंने कहा कि, मैं इस बात से निराश हूं कि प्रधानमंत्री ने संभल का जिक्र नहीं किया, उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बात नहीं की, अल्पसंख्यकों को अधिकारों की बात नहीं और न ही मणिपुर पर कुछ बोले। उन्होंने कहा कि वे आम लोगों को असली मुद्दों से किनारा कर गए।
कांग्रेस नेता ने कहा- प्रधानमंत्री को महान व्यक्तियों की आलोचना से बचना चाहिए
इस दौरान कांग्रेस के अन्य सांसद डॉ शकील अहमद खान ने कहा कि, भाषा, व्यवहार और शालीनता बेहद प्रभावशाली होती हैं। लेकिन आज की राजनीति में इनका महत्व खत्म होता जा रहा है। प्रधानमंत्री को इन शब्दों की परवाह ही नहीं है....जब वह महान व्यक्तियों की आलोचना करते हैं, तो वे सारी शालीनता ताक पर रख देते हैं। जवाहर लाल नेहरू ने इस देश के लिए और स्वतंत्रता के लिए महान योगदान दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री को यह याद नहीं रहता।
प्रधानमंत्री जी ने एक नई चीज नहीं बोली, पूरी तरह से बोर कर दिया.
— Congress (@INCIndia) December 14, 2024
मैंने सोचा था.. प्रधानमंत्री जी कुछ नया और अच्छा बोलेंगे, लेकिन खोखले 11 संकल्प गिनाए.
अगर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस है तो अडानी पर बहस तो कीजिए.
: कांग्रेस महासचिव व सांसद श्रीमती @priyankagandhi जी pic.twitter.com/Ughbr6a7AJ
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